डंडई (गढ़वा) : मानसून की दस्तक ने डंडई प्रखंड में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) के तहत संचालित योजनाओं को ठप कर दिया है। इससे सैकड़ों ग्रामीण मजदूरों के सामने रोजगार का गंभीर संकट उत्पन्न हो गया है। विशेषकर मिट्टी और मोरम से जुड़े कार्यों पर रोक लगने से उन मजदूरों को सबसे अधिक परेशानी हो रही है जो अपनी रोज़ी-रोटी के लिए पूरी तरह इन योजनाओं पर निर्भर थे।
प्रखंड की विभिन्न पंचायतों में दीदी बाड़ी योजना की शुरुआत की गई है, लेकिन यह फिलहाल सीमित लाभुकों तक ही सीमित है। वहीं जिन मजदूरों को पहले से आम बागवानी योजना का लाभ मिला है, उनकी नई डिमांड अब तक नहीं लगाई जा रही है, जिससे वे भी परेशान हैं।
बरसात के कारण कार्य ठप, मजदूरों में हताशा
प्रखंड के कई गांवों में पहले से ही मनरेगा के तहत सीमित काम चल रहे थे, और अब बरसात शुरू होते ही लगभग सभी योजनाओं पर कार्य स्थगित कर दिया गया है। वैकल्पिक योजना नहीं होने से मजदूरों की आर्थिक स्थिति बिगड़ती जा रही है। कई परिवारों को रोजमर्रा की जरूरतें पूरी करने में भी कठिनाई हो रही है।
ग्रामीणों ने बताया कि खेतों में कृषि कार्य अभी शुरू नहीं हुए हैं और सरकारी कार्य भी बंद हैं, जिससे वे मजबूरी में खाली बैठे हैं। कुछ परिवार पलायन की तैयारी में हैं। उनका कहना है कि मनरेगा ही उनका एकमात्र सहारा था, लेकिन अब वह भी बंद हो गया है।
डंडई प्रखंड के करके, जरही, रारो, लवाही, पचौर, तसरार और झोतर जैसे गांवों में बड़ी संख्या में मजदूर मनरेगा पर निर्भर थे।
मजदूरों की मांग — वैकल्पिक योजनाएं जल्द शुरू हों
ग्रामीणों और मजदूरों ने प्रशासन से मांग की है कि मानसून के मौसम को ध्यान में रखते हुए तत्काल वैकल्पिक रोजगार योजनाएं शुरू की जाएं, ताकि वे गांव में रहकर ही काम कर सकें और पलायन के लिए मजबूर न हों।
इस संबंध में उप विकास आयुक्त (डीडीसी) पशुपतिनाथ मिश्रा ने स्पष्ट किया कि मानसून के मौसम में सुरक्षा कारणों से मिट्टी-मोरम जैसे कार्यों पर अस्थायी रूप से रोक लगाई जाती है।
डीडीसी ने यह भी स्पष्ट किया कि मनरेगा योजना बंद नहीं हुई है। इसका मूल उद्देश्य ग्रामीण मजदूरों को रोजगार देना है, और इसे सक्रिय बनाए रखने के लिए संबंधित अधिकारियों को निर्देशित किया गया है, ताकि मजदूरों को किसी प्रकार की परेशानी न हो।