गढ़वा : झारखंड विश्वकर्मा समाज गढ़वा जिला इकाई ने देश के सातवें राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह की पुण्यतिथि पर उन्हें भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित की। यह कार्यक्रम प्रदेश उपाध्यक्ष सुरेंद्र विश्वकर्मा के आवास पर आयोजित किया गया।
कार्यक्रम में ज्ञानी जैल सिंह के जीवन और योगदान पर प्रकाश डाला गया। उनका जन्म 5 मई 1916 को एक गरीब विश्वकर्मा सिख परिवार में हुआ था। कठिन परिस्थितियों में शिक्षा प्राप्त करने के बाद उन्होंने सामाजिक और राजनीतिक जीवन में सक्रिय भूमिका निभाई। भारत विभाजन के बाद पटियाला और पूर्वी पंजाब राज्य संघ में 1949 में राजस्व मंत्री बने और 1951 में कृषि मंत्री का कार्यभार संभाला।
3 अप्रैल 1956 से 10 मार्च 1962 तक वे राज्यसभा सांसद रहे। 1972 में उन्हें पंजाब का मुख्यमंत्री बनाया गया, जहां उन्होंने धार्मिक सभाओं और सार्वजनिक कार्यक्रमों की शुरुआत की। 1982 में वे सर्वसम्मति से देश के राष्ट्रपति चुने गए और संविधान के प्रति अपनी निष्ठा और समानता के संदेश के लिए प्रसिद्ध हुए।
ज्ञानी जैल सिंह का जीवन समाज और देश के प्रति समर्पण का प्रतीक रहा। उनकी जुझारू प्रवृत्ति और समाज सेवा की भावना ने उन्हें "जेल सिंह" से "ज्ञानी जैल सिंह" तक का सफर तय कराया।
कार्यक्रम में जिला अध्यक्ष आनंद विश्वकर्मा, जिला उपाध्यक्ष अशोक विश्वकर्मा, संयुक्त सचिव विकास विश्वकर्मा, रंजीत विश्वकर्मा, नीरज कुमार उर्फ बाबू लोहार, डॉ. सुचित विश्वकर्मा, और रमेश विश्वकर्मा समेत अन्य लोग उपस्थित रहे।