गढ़वा : गढ़वा शहर के चिनियां मोड़ स्थित मां काली मंदिर प्रांगण में चल रहे पांच दिवसीय श्री लक्ष्मी नारायण महायज्ञ का तीसरा दिन पूरी तरह भक्तिमय रहा। वैदिक मंत्रोच्चार, संतों के प्रवचन और भक्ति के माहौल ने पूरे क्षेत्र को आध्यात्मिक ऊर्जा से भर दिया।
शुक्रवार को यज्ञशाला की परिक्रमा के लिए श्रद्धालुओं, विशेष रूप से महिलाओं की भारी भीड़ उमड़ पड़ी। हर ओर भक्ति और उत्साह का माहौल था। श्रद्धालु सुबह से ही यज्ञशाला में आकर संतों के उपदेशों और कथा का आनंद ले रहे हैं।
बुधवार शाम को सुप्रसिद्ध मानस प्रवक्ता डॉ. दीपक त्रिपाठी ने अपने संगीतमय प्रवचन में राम विवाह प्रसंग का ऐसा सुंदर वर्णन किया कि श्रद्धालु भावविभोर हो गए।
उनकी भजन-कीर्तन शैली ने भक्तों को आध्यात्मिक आनंद से भर दिया।
महायज्ञ के तीसरे दिन जगद्गुरु स्वामी दामोदर प्रपन्नाचार्य जी ने यज्ञ के महत्व को बताया। उन्होंने कहा कि यज्ञ साक्षात भगवान विष्णु का स्वरूप है। यह सृष्टि के विस्तार का माध्यम है। भगवान राम का जन्म भी यज्ञ से हुआ था और उनका पहला कार्य यज्ञ की रक्षा करना था। उन्होंने यज्ञ को चारों वर्णों को जोड़ने वाला और संसार को यज्ञमय बताने वाला कर्मकांड बताया।
महायज्ञ के दौरान मंदिर प्रांगण को रंगीन लाइटों और फूलों से सजाया गया है। वैदिक मंत्रोच्चार, कथा, प्रवचन, उपदेश और संगीतमय भजनों ने गढ़वा को भक्ति के रंग में रंग दिया है। आयोजन में बड़ी संख्या में स्थानीय और आसपास के श्रद्धालु भाग ले रहे हैं।
महायज्ञ के आयोजकों का कहना है कि यह धार्मिक आयोजन गढ़वा में न केवल भक्तिमय वातावरण बना रहा है, बल्कि समाज में धार्मिक और सांस्कृतिक एकता का संदेश भी फैला रहा है। आने वाले दिनों में और अधिक श्रद्धालुओं की उपस्थिति की संभावना है।