श्री बंशीधर नगर : बंशीधर नगर मुख्यालय के नगर उंटारी प्रखंड में हरित क्रांति योजना जो खास कर प्रवासी मजदूरों के लिए झारखंड सरकार द्वारा लाया गया है, जिसका बड़े स्तर पर शुरुआत कर दिया गया है।
नगर उंटारी प्रखंड के 12 पंचायतों में आठ पंचायतों में कुल 45 बागवानी योजनाओं का शुभारंभ कर दिया गया है। जिसमें से कुछ योजनाओं में पचास प्रतिशत से अधिक कार्य कराया जा चुका है तथा कुछ में कार्य का शुभारंभ किया जा रहा है। नगर उंटारी प्रखंड के हुलहुलाखुर्द पंचायत में बागवानी -3 सविता देवी, राधा देवी, इंद्रावती देवी जिसमें कार्य प्रारम्भ नहीं हुआ है। नरही पंचायत में 8 बागवानी श्रवण कुमार पासवान, संजय कुमार सिंह, जोखन चौधरी सहित आठ।
कुशदण्ड पंचायत में 5 बागवानी योजना निर्मला देवी, नागवंती देवी, गमलावती देवी, रामा भोगता, मोहरमालती देवी कार्य प्रारंभ।चितबिश्राम पंचायत में 8 बागवानी रघुराज पांडेय, धनन्जय पांडेय, सतीश पांडेय, कन्हैया पांडेय, गंगा साह, दिनेश्वर साह, श्रवण साह, जया देवी कार्य प्रारंभ। कुम्बा खुर्द पंचायत में बागवानी 7 जगत नारायण मेहता, दिलीप मेहता, गोपाल मेहता, नंद किशोर मेहता, निर्मला देवी, प्रतिमा देवी, उषा देवी कार्य प्रारंभ। बिलासपुर पंचायत में बागवानी 4 संजय मिश्रा, वीरेंद्र कुमार मिश्रा, शैलेन्द्र कुमार मिश्रा, जितेंद्र कुमार मिश्रा कार्य प्रारंभ नहीं।भोजपुर पंचायत में बागवानी 5 जितनी देवी, संजय भोगता, सोनमतिया देवी, कमलेश सिंह, सुजीत कुमार भोगता कार्य प्रारंभ।
हलिवंता कला में बागवानी 5 कुसुम देवी, रंभा देवी, राजेन्द्र प्रसाद जयसवाल, अम्बर चौबे, ललिकान्त चौबे। जिसमें प्रवासी मजदूर कार्य कर रहे हैं। जबकि पाइन के पानी की किल्लत से जूझ रहे गरबाँध पंचायत में बागवानी की कोई योजना नहीं लिया गया है। जबकि कोलझिकि और कधवन पंचायत में कोई योजना नहीं लिया गया। जबकि पिपरडीह पंचायत में मुखिया व रोजगार सेवक द्वारा कोई रुचि नहीं लिया जा रहा है। जिससे कोई योजना का चयन नहीं किया गया है। इस योजना की शुरुआत मनरेगा के तहत किया गया है। जिससे प्रवासी मजदूरों को कार्य मिल सके और उनमें से कोई भी भूख से मरने न पाए। जबकि सच्चाई यह है कि मनरेगा के तहत जो मजदूरी मजदूरों को दिया जा रहा है, उससे मजदूर संतुष्ट नहीं है।
इतना ही नही जो किसान अपने जमीन में बागवानी योजना का शुरुआत कर चुके हैं वे अपने आप को बेबस महसूस कर रहे हैं।
इसका कारण लाभुक किसानों ने बताया कि एक तो मनरेगा से दिए जा रहे मजदूरी पर मजदूर नहीं मिल रहे है, दूसरे मास्टररोल पर हस्ताक्षर करने पर मुखिया द्वारा परसेंटेज की मांग किया जा रहा है। नहीं देने पर योजना बन्द कर देने की धमकी भी दी जा रही है। किसानों ने बताया कि जमीन हम दे, पैसा मजदूरों को मिले फिर भी कमीशन भी हमही दे। लाभुकों के साथ पदाधिकारी भी परेशान हैं। उच्च पदाधिकारियो के दबाव में छोटे कर्मचारी भी परेशान हैं।