गढ़वा : स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर स्थानीय जीएन कॉन्वेंट सीनियर सेकेंडरी स्कूल में भारतीय राष्ट्रीय ध्वज ‘तिरंगा’ की निर्माण यात्रा पर परिचर्चा एवं प्रदर्शन का आयोजन किया गया।
कार्यक्रम के दौरान विद्यालय के निदेशक सह शिक्षाविद् मदन प्रसाद केसरी ने छात्र-छात्राओं एवं शिक्षक-शिक्षिकाओं को संबोधित करते हुए राष्ट्रीय ध्वज के इतिहास, महत्व एवं उसकी विशेषताओं की विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने बताया कि तिरंगे की अभिकल्पना पिंगली वेंकैया ने की थी, जिसे 22 जुलाई 1947 को संविधान सभा में अपनाया गया था। इसमें ऊपर केसरिया रंग देश की ताकत और साहस, मध्य में श्वेत पट्टी शांति और सत्य तथा नीचे हरे रंग की पट्टी देश की उन्नति और हरियाली का प्रतीक है।
श्वेत पट्टी के बीच गहरे नीले रंग का अशोक चक्र 24 तीलियों के साथ निरंतर प्रगति का संदेश देता है। ध्वज की लंबाई-चौड़ाई का अनुपात 3:2 है और यह विशेष प्रकार के खादी कपड़े से बनाया जाता है, जो महात्मा गांधी द्वारा लोकप्रिय किया गया था।
परिचर्चा में राष्ट्रीय ध्वज के प्रथम स्वरूप, जिसे 1904 में ‘कोलकाता ध्वज’ या ‘कमल ध्वज’ कहा जाता था, का भी उल्लेख किया गया। कार्यक्रम में बच्चों ने झंडा गीत गाकर देशभक्ति का माहौल बना दिया।
कार्यक्रम का संचालन उपप्राचार्य बसंत ठाकुर ने किया और धन्यवाद ज्ञापन वरिष्ठ शिक्षक संतोष प्रसाद ने दिया। आयोजन को सफल बनाने में शिक्षक वीरेन्द्र साह, कृष्ण कुमार, खुर्शीद आलम, मुकेश भारती, विकास कुमार, दिनेश कुमार, नीरा शर्मा, नीलम कुमारी, सुनीता कुमारी, सरिता दुबे, शिवानी कुमारी, रागिनी कुमारी, चन्दा कुमारी, ऋषभ श्रीवास्तव और पूजा प्रकाश की भूमिका सराहनीय रही।