गढ़वा: भवनाथपुर प्रखंड मुख्यालय से तीन किलोमीटर दूरी पर प्रसिद्ध सरइया गांव स्थित भवनाथपुर चूना पत्थर खदान समूह के समीप शिव पहाड़ी गुफा है। इस गुफा में प्रवेश के लिए पहाड़ की ऊपरी चोटी से एक फीट डायमीटर का एक होल बना हुआ है। इस होल से एक बार में एक ही व्यक्ति गुफा में प्रवेश कर सकता है। गुफा में प्रवेश के बाद आप पहाड़ी के तलहटी में करीब डेढ़ सौ फीट नीचे पहुंच जाते हैं। बाहर से पूरी तरह ठोस दिखने वाला यह पहाड़ अंदर से एकदम खोखला है। जो गुफा का रूप ले लिया है। शिव पहाड़ी की गुफा के बीच में स्वतः निर्मित भगवान भोलेनाथ का लिंग है। यहां महाशिवरात्रि को दो दिन का मेला आयोजित किया जाता है। लेकिन जन प्रतिनिधियों और प्रशासनिक अधिकारियों की उपेक्षा के कारण आज तक जिला मुख्यालय के लोग भी इसके संबंध में बहुत अधिक नहीं जानते हैं।
ग्रामीणों के अनुसार शिव पहाड़ी गुफा में सौ वर्षों से अधिक समय से पूजा पाठ किया जा रहा है।
महाशिवरात्रि पर्व पर शिव पहाड़ी गुफा पर जुटे श्रद्धालु
शिव पहाडी गुफा पर्यटन विभाग की नजरों से ओझल है। विभाग की नजर इस अदभुत गुफा पर पड़े तो भवनाथपुर का यह विचित्र ऐतिहासिक गुफा मानचित्र पर भी आ सकता है। विशाल चट्टानों को एक दूसरे पर टिके होने के कारण अंदर में गुफा का रास्ता करीब 150 फिट तक जाता है। आगे का रास्ता अति कठिन होने के कारण लोग नहीं जा पाते। गुफा में एक काशी करवट नामक स्थान भी है। जहां पर सूर्य की सीधी रोशनी पहुंचती है। बताया जाता है की गुफा की तलहटी से एक संकरी गुफा आगे की ओर गई है।
लेकिन अत्यधिक संकरा होने के कारण आज तक इसमें कोई भी प्रवेश नहीं कर सका है। लोगों का कहना है कि यह गुफा बिहार के रोहतास जिला के गुप्ता धाम में जाकर मिलती है। लेकिन अभी तक इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं हो सकी है। वही क्षेत्र के लोग गुफा के अंदर स्थित शिव लिंग के पास अनेक अवसरों पर अखण्ड कीर्तन का कार्यक्रम भी आयोजित करते हैं। प्रकृति द्वारा प्रदत्त इस गुफा में पर्यटन के लिहाज से काफी कुछ है, बस इसे संवारने की आवश्यकता है।