गढ़वा : गढ़वा जिले में विकास के नाम पर सरकारी राशि की बंदरबांट अंतहीन गाथा है, जो विभिन्न माध्यमों से समय-समय पर सुनाई पड़ता है। भले ही विकास मद की राशि के बंदरबांट के मामले में जिम्मेवार अधिकारियों द्वारा कार्रवाई नहीं किया जाए। मगर हकीकत, हकीकत है जो खुद ब खुद बयां कर देता है। जिले की विकास योजनाओं की फर्जीवाड़ा को लेकर कई तरह की अलग - अलग किस्से की तरह मामले सामने आते हैं।
एक ऐसा ही मामला तालाब निर्माण से जुड़ा है, जो सुदूरवर्ती दूर-दराज के गांव का नहीं है बल्कि गढ़वा सदर प्रखंड के परिहारा गांव का है। जो जिला मुख्यालय से महज 7 से 8 किलोमीटर की दूरी पर है। यहां के ग्रामीण मुन्ना सिंह ने उपायुक्त के नाम एक आवेदन देकर जिस तालाब के निर्माण के नाम पर अब तक लाखों रुपए बंदरबांट करने का जो आरोप लगाया है, वह बड़ी ही गंभीर है।
उन्होंने जिस तालाब का जिक्र किया है उसके संबंध में कहा है कि दरअसल उनके गांव के गिरजा प्रसाद सिंह तथा राजेश कुमार सिंह नाम के दो लोगों ने खाता नंबर 112 प्लॉट नंबर 141 में अब तक एक ही स्थान पर चेक डैम तथा तालाब निर्माण का चयन करा कर लाखों रुपए बंदरबांट कर लिया है।
इस क्रम में उन्होंने उल्लेख किया है कि सबसे पहले 1993 94 में गढ़वा प्रखंड कार्यालय से सिंचाई के लिए उक्त स्थान पर चेक डैम का निर्माण कराया गया फिर उसी स्थान पर 2008- 2009 में मनरेगा योजना से तालाब का निर्माण उसी स्थान पर पर दिखला कर, निर्माण मद की राशी हजम कर लिया गया।
इतना ही नहीं पुनः उसी स्थान पर 2014 - 2015 में तालाब निर्माण की स्वीकृति करा कर निर्माण की राशि हड़प ली गई तथा चौथे मर्तबा 2019 -2020 में 15 -16 लाख रुपए की लागत से भूमि संरक्षण विभाग से तालाब निर्माण कराकर, निर्माण मद की राशि बंदरबांट कर लिया गया।
शिकायतकर्ता श्री सिंह ने उपायुक्त से इस पूरे मामले की उच्च स्तरीय जांच कर दोषी लोगों के विरुद्ध कार्रवाई की मांग करते हुए एक बड़ा सवाल खड़ा किया है, जिसमें उन्होंने कहा है कि जिस स्थान पर पहले सिंचाई के लिए चेक डैम का निर्माण किया गया उसी चेक डैम को बाद में तालाब निर्माण की स्वीकृति कराकर विकास की राशि की लूट की गई है, जो अपने आप में बहुत बड़ा मामला है।
शिकायतकर्ता ने जो सवाल खड़े किए हैं, गढ़वा जिले की विकास योजनाओं में विशेष कर तालाब निर्माण योजना के नाम पर विकास राशि की लूट का कोई एक उदाहरण नहीं है। यदि जांच किया जाए तो ऐसे एक-एक प्रखंड में दर्जनों उदाहरण मिलेंगे। देखना है, पूर्व की भांति ही श्री सिंह के इस शिकायत को प्रशासन गंभीरता से लेकर जांच कर दोषी लोगों के खिलाफ कार्रवाई करता है अथवा इसे भी शिकायत पेटी में बंद कर छोड़ दिया जाता है।