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कांडी : चिकित्सा सेवा के नाम पर मेवा खाने के लिए कुकुरमुत्ता की तरह जिला मुख्यालय गढ़वा में भले ही नर्सिंग होम और निजी क्लीनिक खोल दिया गया है। मगर आपातकालीन सेवा में भी ऐसे चिकित्सक संवेदनहीनता की परिचय देते हुए मरीज की जान बचाने के प्रति अपना कर्तव्य बोध को याद नहीं रखते। इसका उदाहरण आज तब देखने को मिला जब कांडी थाना के लामारी गांव का 21 वर्षीय युवक गुड्डू कुमार रजवार की इलाज के अभाव में आज सुबह करीब 9:30 बजे यहां के निजी डॉक्टरों के दरवाजे तक रात्रि से सुबह तक दस्तक देते - देते मौत हो गई।
युवक के परिजन कल रात से ही गढ़वा के लगभग सभी तथाकथित नामी - गिरामी चिकित्सकों से संपर्क साधा।
रात में उन्हें रात्रि कालीन सेवा नहीं होने की बात कहकर टरका दिया गया और सुबह जब हुआ तो युवक की बीमारी की गंभीरता को नजरअंदाज करते हुए नंबर लगाने के बाद नंबर आने तक इंतजार करने को कहा गया। जिससे मरीज को लेकर परिजन इस डॉक्टर से उस डॉक्टर के दरवाजे तक दौड़ते रहे इसी बीच युवक की मौत हो गई।
दरअसल लमारी कला गांव निवासी दुखी रजवार के 21 वर्षीय पुत्र गुड्डू राजवार को तीन जून को लकवा मार दिया था। परिजनों द्वारा आनन - फानन में खरसोता व संगबरिया गांव स्थित तथाकथित लकवा अस्पताल में इलाज भी कराया गया। किन्तु कुछ दिन बाद गुड्डू की आवाज भी बंद होने लगी। मंगलवार को एंबुलेंस से उसे रेफरल अस्पताल मझिआंव व मझिआंव से सदर अस्पताल गढ़वा ले जाया गया।
वहां भी समुचित इलाज नहीं हो सका।
स्थिति बिगड़ते देख परिजनों ने गढ़वा के लगभग सभी तथाकथित नामी - गिरामी चिकित्सकों से संपर्क कर तत्काल इलाज करने का आग्रह किया। किंतु रात्रि सेवा उपलब्ध नहीं होने का बहाना बनाकर उक्त डॉक्टरों ने इलाज करने से मना कर दिया। परिजनों द्वारा बुधवार की सुबह एक बार फिर इन तथाकथित नामी गिरामी सभी डॉक्टरों से संपर्क कर इलाज करने का आग्रह किया गया। किंतु पहले नंबर लगाना फिर नंबर के अनुसार डॉक्टरों द्वारा देखे जाने की बात कह कर उन्हें टरका दिया गया। इसी दौरान लगभग 9:30 बजे गुड्डू की मौत हो गई।