गढ़वा : झारखंड राज्य की बदहाल स्वास्थ्य व्यवस्था को लेकर भाजपा नेता रामलला दुबे ने गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कांडी प्रखंड की दुर्दशा को उदाहरण के रूप में सामने लाते हुए कहा कि राज्य सरकार की उपेक्षा के कारण ग्रामीण इलाकों की स्वास्थ्य सेवाएं पूरी तरह चौपट हो गई हैं।
प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से उन्होंने बताया कि कांडी प्रखंड मुख्यालय में स्थित एकमात्र सरकारी अस्पताल में मूलभूत सुविधाओं का घोर अभाव है। यहां न पानी की व्यवस्था है, न शौचालय ठीक हैं, न बिजली-पंखा है और न ही सुरक्षित प्रसव जैसी आवश्यक सेवाएं उपलब्ध हैं। अस्पताल की छत से हल्की बारिश में पानी टपकता है, खिड़की-दरवाजे टूटे हुए हैं और डेढ़ लाख की आबादी के बावजूद इसे अब तक सीएचसी (सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र) का दर्जा नहीं दिया गया है।
रामलला दुबे ने कहा कि कांडी प्रखंड के विभिन्न पंचायतों में बने उपस्वास्थ्य केंद्र केवल दिखावटी हैं। बड़े-बड़े भवन खड़े हैं लेकिन न डॉक्टर हैं, न संसाधन। ये केंद्र केवल नाम के लिए मौजूद हैं।
उन्होंने चिंता व्यक्त की कि स्वास्थ्य सेवाओं की इस बदहाली के कारण निजी अस्पताल, जांच घर, एक्सरे और अल्ट्रासाउंड सेंटर तेजी से फल-फूल रहे हैं। हाल ही में सरकारी अस्पताल के ठीक सामने एक नया अल्ट्रासाउंड सेंटर खुला है, जबकि अस्पताल में न कोई स्त्री विशेषज्ञ है और न ही अल्ट्रासाउंड की सुविधा।
भाजपा नेता ने सवाल उठाया कि जब सरकारी अस्पतालों में मूलभूत सुविधाएं नहीं हैं, तब निजी अल्ट्रासाउंड सेंटर क्यों खोले जा रहे हैं? उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि इन केंद्रों पर रिपोर्ट देखने के लिए कोई योग्य चिकित्सक तक उपलब्ध नहीं है, जिससे आम लोगों की जान के साथ खिलवाड़ हो रहा है।
रामलला दुबे ने राज्य सरकार से मांग की है कि कांडी अस्पताल को सीएचसी का दर्जा देकर उसमें समुचित सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएं। साथ ही 24 घंटे ओपीडी के लिए एक महिला चिकित्सक और एक पुरुष एमबीबीएस डॉक्टर की नियुक्ति की जाए। साथ ही प्रखंड मुख्यालय में खुले निजी जांच केंद्रों पर निगरानी रखी जाए और गैरकानूनी गतिविधियों पर कड़ी कार्रवाई की जाए।
स्वास्थ्य विभाग की इस लचर व्यवस्था को उन्होंने अत्यंत निंदनीय बताते हुए कहा कि सरकार यदि अब भी नहीं चेती, तो आने वाले समय में ग्रामीण क्षेत्रों की स्वास्थ्य स्थिति और भी भयावह हो जाएगी।