गढ़वा :
स्थानीय जी. एन. कॉनवेंट (10+2) स्कूल में
दीपावली के पूर्व संध्या पर रंगोली एवं दीप सजाओ प्रतियोगिता का आयोजन किया गया जिसमें छात्र- छात्राओं ने बढ़-चढ़ कर भाग लिया। विद्यार्थियों ने रंग बिरंगेऔर मनमोहक रंगोली बनाकर अपनी कुशल कला और कौशल का प्रदर्शन किया। अपने संबोधन में विद्यालय के निदेशक ने कहा कि रंगोली भारत की प्राचीन एवं लोकप्रिय लोक कला है। लोग सौभाग्य लाने के लिए अपने घरों के प्रवेश द्वार पर रंगोली बनाते हैं जिसमें रंगीन पाउडर, चावल, रेत या फूलों की परखुड़ियों का उपयोग करते हैं। यह घर में देवी देवताओं का स्वागत करने का एक तरीका है। रंगोली अक्सर दिवाली, पोंगल, और ओणम जैसे त्योहारों के दौरान बनाई जाती है जो उत्सवों में रंग और आनंद जोड़ता है।
रंगोली समृद्धि एवं मंगल कामना का प्रतीक है। प्रत्येक क्षेत्र की रंगोली की अपनी अनूठी शैली होती है जो इसे विविध और सुंदर बनाता है। ऐसा माना जाता है कि यह सौभाग्य लाता है और बुरी आत्माओं को दूर रखता है। रंगोली बनाने का कार्य आतिथ्य व्यक्त करना और मेहमानों का स्वागत करने का भी एक तरीका है।भारत भर में रंगोली के कई रूप हैं। दक्षिण भारत में इसे कोलम, पश्चिम बंगाल में अल्पना और राजस्थान में मंदना के नाम से जाना जाता है। रंगोली की कथा भारतीय लोगों की रचनात्मक
और कलात्मक कौशल को प्रदर्शित करती है,जिससे यह एक पोषित परंपरा बन जाती
है जो पीढ़ी दर पीढ़ी चलती रहनी चाहिए। रंगोली प्रतियोगिता में चयनित छात्रा की
सूची इस प्रकार है: ग्रुप ए
प्रथम- कृतिका ग्रुप (वर्ग-4)
द्वितीय-हिमांशु ग्रुप (वर्ग -4)
तृतीय-आकांक्षा (वर्ग-1)
ग्रुप बी
प्रथम-अंशी ग्रुप
द्वितीय-सृष्टि ग्रुप
तृतीय- आराध्या ग्रुप
ग्रुप सी में
प्रथम - रूपांजली ग्रुप
द्वितीय दीपिका ग्रुप
तृतीय- साक्षी ग्रुप
कार्यक्रम को सफल बनाने में उपप्राचार्य बसंत ठाकुर शिक्षक उदयप्रकाश, खुर्शीद आलम, संजीव कुमार, मुकेश कुमार भारती, अजय कुमार, वीरेन्द्र गुप्ता,सरिता दुबे, नीरा शर्मा, रिजवाना शाहिन, निलम कुमारी,शिवानी कुमारी, सुषमा तिवारी, सुनिता कुमारी, संतोष प्रसाद एवं अन्य की भूमिका सराहनीय रही।

गढ़वा सुशीला देवी एजुकेशन ट्रस्ट द्वारा संचालित अशोक विहार स्थित जिला शिक्षा निकेतन विद्यालय में दीपावली पर्व से पूर्व दिन शनिवार को रंगोली प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। आयोजित रंगोली प्रतियोगिता में बच्चों ने एक से बढ़कर एक मनमोहक रंगोली अबीर गुलाल से बनाया। वहीं विभिन्न वर्गों के बच्चों ने रंगोली प्रतियोगिता में भाग लिया। इस मौके पर विद्यालय के निदेशक अनिल विश्वकर्मा ने कहा कि इस तरह के आयोजन से बच्चों में छिपी प्रतिभा को निखारा जा सकता है और बच्चों में कला प्रदर्शन के प्रति जागरूकता बढ़ती है। रंगोली भारत के किसी भी प्रांत की हो, वह लोक कला है जिसमें रंगीन चावल , सूखा आटा, रंगीन रेत या फूलों की पंखुड़ियां जैसी सामग्रियों का उपयोग करके रहने वाले कमरे या आंगन में फर्श पर पैटर्न बनाए जाते हैं।
त्योहारों के दौरान रंगोली प्रतियोगिताओं सबसे लोकप्रिय गतिविधियों में से एक है।अतः इसके तत्व भी लोक से लिए गए हैं और सामान्य हैं। रंगोली का सबसे महत्वपूर्ण तत्व उत्सवधार्मिता है। इसके लिए शुभ प्रति का चयन किया जाता है। हम सभी को दिवाली पर अपने घर में दिए जलाना चाहिए और खुशियां बांटनी चाहिए। दिए के प्रकाश से नकारात्मक ऊर्जा का खत्म होकर सकारात्मक ऊर्जा आती है। रंगोली प्रतियोगिता में सफल बच्चों को विद्यालय प्रबंधन के द्वारा पुरस्कृत किया गया। जिसमें सीनियर वर्ग से प्रथम स्थान सोनम एंड ग्रुप, द्वितीय स्थान सीखा एंड ग्रुप एवं तृतीय स्थान अणु एंड ग्रुप लाए तथा जूनियर वर्ग से प्रथम स्थान श्रेया एंड ग्रुप, द्वितीय स्थान हर्षिका एंड ग्रुप तथा तृतीय स्थान नेहा एंड ग्रुप लाए।
इस मौके विद्यालय के प्रधानाचार्य वसीम अकरम, शिक्षक आदित्य चौधरी, अरुण पाठक, कौस्तुक कुमार, विवेकानंद कुमार, सिंपल जायसवाल, जेनिफर किस्फोटक, सुमन कुमारी, सृष्टि कुमारी, हिमानी जायसवाल, रिया कुमारी, सिमरन विश्वकर्मा, संगीता कुमारी, आदि उपस्थित थे।