गढ़वा : झारखंड सरकार द्वारा छठ त्यौहार को लेकर सार्वजनिक स्थलों जलाशयों पर प्रतिबंध लगाए जाने को तुगलकी फरमान माना जा रहा है। इसे लेकर कई संगठनों ने भारी विरोध जताया है। यहां तक कि सरकार के अंदर खाने से भी इस तुगलकी फरमान को वापस लेने की मांग उठ रही है। बावजूद हेमंत सरकार को लोक आस्था से जुड़े इस त्यौहार को लेकर जारी किए गए प्रतिबंध पर अब तक पुनर्विचार नहीं किया जाना दुर्भाग्यपूर्ण है।
माना कि कोरोना को लेकर सरकार का गाइडलाइन आम लोगों की जीवन रक्षा के लिए निहायत ही जरूरी है। मगर सरकार ने इस मामले में पूरी तरह से लापरवाही दिखाते हुए शुरुआती दौर में पहल नहीं की और अब जब लोगों ने पूर्व के वर्षो की भांति छठ घाटों को सजा दिया, साफ सफाई कर दी, उनकी पूरी आस्था जलाशयों सार्वजनिक स्थलों से जुड़ गया तो सरकार ने आनन-फानन में सार्वजनिक स्थलों पर छठ पूजा की मनाही का फरमान जारी कर दिया, जो निश्चित रूप से तुगलकी फरमान की ही श्रेणी में लाया जा सकता है।
क्योंकि सरकार को यदि छठ पूजा में होने वाली भीड़ को लेकर इतनी ही चिंता थी तो पहले ही दुर्गा पूजा एवं दूसरे त्योहारों की तरह सरकार को सजग रहनी चाहिए थी। मगर सरकार ने ऐसा नहीं किया। बल्कि छठ पूजा से कुछ दिन पूर्व अचानक इस तरह के प्रतिबंध लागू कर दिए हैं।
इसे लेकर सरकार के अंदर खाने से भी विरोध के स्वर उठने लगे हैं। स्वयं झामुमो के बड़े नेता विनोद पांडेय ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से मिलकर इस पर पुनर्विचार करने की मांग किया है।
भाजपा, आजसू जैसे कई राजनीतिक संगठनों के साथ-साथ छठ पूजा से जुड़े तमाम समितियों ने सरकार को इस तुगलकी फरमान को वापस लेने की मांग किया है।बावजूद सरकार अभी तक कान में तेल डालकर बैठी हुई है। जबकि कल से छठ पूजा शुरू हो रहा है और इसे लेकर श्रद्धालुओं के बीच संसय बरकरार है।
ऐसे में सरकार के द्वारा लोगों की आस्था से जुड़े इस मामले को कोरोना के नाम पर यूं ही छोड़ देना आश्चर्य का विषय है। विशेषकर हेमंत सोरेन से ऐसी उम्मीद नहीं थी। माना यह जा रहा था कि झामुमो की ओर से भी इसके विरोध में सवाल उठने से हेमंत सोरेन इस पर जल्द ही पुनर्विचार करेंगे मगर अभी तक सरकार की ओर से छठ त्यौहार को सार्वजनिक स्थलों पर न मनाकर अपने अपने घरों में ही मनाने का जारी किया गया फरमान वापस नहीं लिया जाना दुर्भाग्यपूर्ण है।
सरकार को समय रहते इस पर फैसला लेने की जरूरत है साथ ही इस बात का भी ख्याल रखने की जरूरत है कि झारखंड के कोने कोने में मनाए जाने वाले इस त्यौहार को लेकर लोगों ने जिस तरह से तैयारी कर ली है तथा उनकी आस्था जुड़ी हुई है, यहां तक कि सरकार के संस्थानों द्वारा भी छठ पूजा की तैयारी में सहयोग किया गया है।
लिहाजा सरकार को इस पर गंभीरता पूर्वक विचार जल्द करनी चाहिए।
यदि सार्वजनिक स्थलों पर प्रतिबंध ही लगाना था तो सरकार के अधिकारी भी छठ घाटों को साफ-सफाई से लेकर सजाने के काम में सहयोग में क्यों जुटे थे? इन तमाम पहलुओं को ध्यान में रखते हुए जल्द से जल्द तुगलकी फरमान वापस किए जाने की आवश्यकता है।