बंशीधर नगर : वन पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग झारखंड सरकार के दिशा निर्देशन में गढ़वा उत्तरी वन प्रभाग के वन क्षेत्र के तत्वाधान में राजकीयकृत उच्च विद्यालय चितविश्राम के प्रांगण में 74 वाँ वन महोत्सव आयोजित किया गया.
कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि विधायक भानु प्रताप शाही, गढ़वा उत्तरी वन प्रभाग के डीएफओ दिलीप कुमार यादव, गढ़वा दक्षिणी वन प्रभाग के डीएफओ शशि कुमार, अनुमंडल पदाधिकारी आलोक कुमार, प्रशिक्षु डीएफओ ईबी इब्राहम, प्रखंड प्रमुख उर्मिला देवी, 20 सूत्री अध्यक्ष शैलेश चौबे, शिक्षाविद शारदा महेश प्रताप देव, भाजपा प्रदेश कार्यसमिति सदस्य रघुराज पांडेय ने वृक्षारोपण कर किया.इसके बाद वर्षा और हरियाली की कामना करते हुए गुब्बारा छोड़कर प्रकृति से आह्वान किया गया. मुख्य अतिथि तथा विशिष्ट अतिथियों के द्वारा दीप प्रज्वलन कर विधिवत वन महोत्सव का शुभारंभ किया गया. इस अवसर पर मुख्य अतिथि विधायक भानु प्रताप शाही ने कहा कि आज श्री बंशीधर नगर क्षेत्र के प्रबुद्ध गांव चितविश्राम में आयोजित यह वन महोत्सव पूरे विधानसभा के लिए मील का पत्थर साबित होगा. जितने पौधे लगाए जा रहे हैं इसे सुरक्षित एवं संरक्षित करना हम सबों की जिम्मेवारी होगी. उन्होंने आज बदलते परिवेश में पर्यावरण को होते नुकसान पर विस्तृत चर्चा करते हुए केवल 20-30 वर्ष पीछे जाकर नगर भवनाथपुर क्षेत्र के जंगलों की स्थिति और वर्षा का आकलन करने का आह्वान किया और कहा आज आधा सावन बीतने के बाद यदि हम आसमान निहार रहे हैं तो इसका जिम्मेदार कौन है? जब वन वृक्ष ही नहीं रहेंगे तो वर्षा कैसे होगी.गढ़वा उत्तरी डीएफओ दिलीप कुमार यादव ने सभी का वन महोत्सव में स्वागत करते हुये विस्तार से वन एवं पर्यावरण की उपयोगिता पर चर्चा किया. उन्होंने कहा कि धीरे-धीरे धरती के बढ़ती गर्मी से हम सभी परेशान हैं और इसका एक मात्र विकल्प है वृक्षारोपण. उन्होंने जल संरक्षण पर जोर देते हुये किसी नदी तालाब को अतिक्रमण नहीं करने की अपील की. बल्कि नदी को सदानीरा तथा तालाब साफ सफाई कर सालों भर के लिए जल एकत्र करने की बात कही. गढ़वा दक्षिणी डीएफओ शशि कुमार ने कहा हमारी संपूर्ण आयु को जीवन कहा जाता है और जीवन का अर्थ है जीव और वन.यदि वन नहीं रहेगा तो जीवन कैसे बचेगा? विशिष्ट अतिथि अनुमंडल पदाधिकारी आलोक कुमार ने ग्लोबल वार्मिंग क्लाइमेट चेंज की ओर ध्यान आकृष्ट करते हुए कहा आज हम अनावृष्टि और अतिवृष्टि दोनों से परेशान हैं. कहीं बारिश ही नहीं हो रही तो कहीं बारिश के बाढ़ से लोग त्राहि-त्राहि कर रहे हैं .इसके लिए आज का ग्लोबल वार्मिंग जिम्मेवार है. अतः हमें ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाकर उसकी रक्षा करने की आवश्यकता है और हमने अपने जीवन में अपने प्रत्येक जन्मदिन पर एक पौधा लगाने का संकल्प लिया है और जिसे मैं करते आ रहा हूँ.उन्होंने बच्चों से संकल्प लेने को कहा अपने जन्मदिन पर एक वृक्ष जरूर लगायें.मुख्य अतिथि तथा विशिष्ट अतिथि को नगर वन क्षेत्र के वन क्षेत्राधिकारी प्रमोद कुमार के द्वारा पौधे स्मृति प्रदान किया गया.धन्यवाद ज्ञापन प्रशिक्षु डीएफओ ईबी अब्राहम ने किया .अतिथियों का स्वागत विद्यालय की कक्षा आठ की छात्राओं ने स्वागत गान प्रस्तुत कर किया. इस अवसर पर वन विभाग के कर्मियों के साथ वरीय शिक्षक द्वारिका नाथ पांडेय, आचार्य सुशील पांडेय,प्रबंध समिति के पूर्व अध्यक्ष संजय पांडेय, मुखिया सनिधा सोनी, नरही मुखिया मनोज ठाकुर, पेंशनर समाज के अध्यक्ष गजाधर पांडेय, अधिवक्ता बृजेंद्र पांडेय, लक्ष्मण राम, लवली आनंद, ओमप्रकाश चौबे ,कुमार कनिष्क,विवेकानंद पांडेय,विकास पांडेय, विक्रांत सिंह,सेवानिवृत्त शिक्षक परशुराम पांडेय बृज किशोर पांडेय, सुग्रीम पांडेय, नंद किशोर पांडेय, संजय सेठ, रामजी सेठ,अशोक सेठ,ओमप्रकाश गुप्ता, अनुराग सोनी, आनन्द कमलापुरी, प्रो0 महमूद आलम,काफी संख्या में स्वयं सहायता समूह के सदस्य ,शिक्षक विद्यालय के छात्र छात्राएं उपस्थित थे. कार्यक्रम में वन विभाग द्वारा ग्रामीणों के बीच पौधों का वितरण भी किया गया.कार्यक्रम से पूर्व होलीक्रास उच्च विद्यालय की छात्राओं ने विधायक श्री शाही का आगवानी कर उन्हें कार्यक्रम स्थल तक लाया.कार्यक्रम का संचालन शिक्षक कमलेश कुमार पांडेयने किया.

:-अहंकार पुर्वक भक्ति नही होनी चाहिए-जीयर स्वामी
श्री बंशीधर नगर-भक्ति होनी चाहिए, ज्ञानी भी होना चाहिए. उपासक भी होना चाहिए,लेकिन वह ज्ञान, वह भक्ति, वह उपासना अपने को अंहकार में नही होना चाहिए. हमारे प्रयास और पुरूषार्थ करने के बाद भी, हमारे कर्म और कर्तव्य करने के बाद अगर कहीं भावी बलियसि है, होनी बलियसि है तो परमात्मा के आज्ञा मान करके उसे सहर्ष स्वीकार करना चाहिए.उक्त बातें श्री श्री जीयर स्वामी जी महाराज ने पाल्हे जतपुरा ग्राम में प्रवचन के दौरान कही.उन्होंने कहा कि हमारा उद्देश्य ठीक रहेगा तो घर परिवार में रहकर भी शांति प्राप्त कर सकते हैं.अयोध्या, मथुरा, काशी केवल मुक्ति का कारण नही है.अगर अयोध्या, मथुरा, काशी केवल मुक्ति का कारण होता तो चोर, बदमाश, कुकर्मी नही होना चाहिए.यहां रहने से भी कल्याण नही हो जाएगा.हमारा लक्ष्य ठीक नही होगा तो हम चाहें बक्सर रहें, अयोध्या रहें, मथुरा रहें, हम अपने मुकाम तक नही पहुंच पाएंगे. हमारा उद्देश्य ठीक होगा तो हम अयोध्या भी रह करके शांति प्राप्त कर सकते हैं, और घर परिवार में भी रह करके शांति प्राप्त कर सकते हैं. भगवान की कृपा से हीं सत्संग की प्राप्ति होती है .उन्होंने कहा कि जीवन में सन्मार्ग की प्राप्ति होती है. भगवद् भजन में मन लगता है.घर परिवार में मंगल और आनंद की अनुभूति होती है. समाज परिवार में मान सम्मान होता है यह सब भगवान की कृपा से ही होता है. अन्यथा न कृपा रहे तो सब कुछ रहने के बाद भी न किसी के कुछ बनता ही नही है. भगवान की कृपा से ही साधु-संत के सान्निध्य में जाते है.स्वामी जी महाराज ने कहा कि लज्जा हमारी राष्ट्र की संस्कृति है. जहां लज्जा नहीं रहती है वहां सब कुछ रहने के बाद भी कुछ रहने का औचित्य ही नहीं बनता है. लज्जा मानव की गरिमा है. अगर इसे संस्कृति से हटा दिया जाए तो पशु और मनुष्य में कोई अंतर हीं नहीं रह जाएगा.उन्होंने कहा कि लोग विवाह से पहले ही पत्नी के साथ फोटो खिंचवा कर दूसरे को , मित्र को भेज देते हैं.मनुष्य को गरिमा और लज्जा ( शर्म ) का ख्याल रखना चाहिए.यहीं कारण है कि हम संस्कृति को भूल जाने के कारण सभी साधन रहने के बाद भी हम निराश हैं. भक्तिपूर्वक परमात्मा का ध्यान करना ही श्रेष्ठ प्रायश्चित है.उन्होंने कहा कि मन द्वारा, वाणी द्वारा, शरीर द्वारा भक्तिपूर्वक परमात्मा का ध्यान करते हुए उनके नाम गुण, लीला, धाम इन चारों का जो उपासना करता है।