गोमिया। झारखंड राज्य आवास बोर्ड की अर्जित जमीन व फ्लैटों को अतिक्रमण मुक्त मामले में हाई कोर्ट के फैसले के बाद ज्यों ज्यों प्रशासन द्वारा अतिक्रमण मुक्त करने की घड़ी नजदीक आती जा रही है त्यों त्यों आवास में रह रहे लोगों की धड़कनें भी बढ़ती जा रही है। वहीं इस मामले में अब राजनीतिकरण भी खूब होने लगा है। सभी अपनी-अपनी रोटियां सेंक रहें हैं।
इसीक्रम में बुधवार को गोमिया आवासीय कॉलोनीवासियों के आग्रह पर गोमिया के पूर्व विधायक योगेंद्र प्रसाद भी आईईएल स्थित राज्य आवास बोर्ड के आवासीय कॉलोनी पहुंचे और मौजूदा स्थिति और उससे निपटने को लेकर बैठक की। यहां फरियादियों ने पूर्व विधायक से किसी भी सूरत में उन्हें बेघर होने से बचाने की फरियाद लगाई।
जिस पर पूर्व विधायक योगेंद्र प्रसाद ने कहा कि कोर्ट का फैसला सर्वमान्य है लेकिन यह भी सत्य है कि यहां रहने वाले लोग भी कोर्ट के इस फैसले से डरे और घबराए हुए हैं। लगातार लोगों को छत विहीन होने का डर सता रहा है। उन्होंने बताया कि बैठक में आवास बोर्ड के सभी फरियादी बोकारो जिले के उपायुक्त को सामूहिक आवेदन देकर उपायुक्त से छः माह का वक्त मांगने पर सहमति बनी है। क्योंकि निकट समय में बरसात का मौसम आने वाला है जिससे इन लोगों पर छत विहीन होने के बाद दोहरा मार झेलनी पड़ेगी। बताया कि यह मानवीय मूल्यों से जुड़ी समस्या है इसीलिए सभी आवासीय कॉलोनीवासी बोकारो उपायुक्त से छः माह का वक्त मांगेंगे। छः माह के बाद प्रशासन अपनी कार्रवाई करेगी।
मौके पर ससबेड़ा पश्चिमी की मुखिया शांति देवी, अमित पासवान, सतेंद्र सिंह, संतोष राम, मुस्ताक अंसारी, धनंजय विश्वकर्मा, गोहर अंसारी, प्रकाश राय, सफ़दर अंसारी, अजय कुमार, बिपिन कुमार, कैलाश कुमार समेत कई लोग थे।
बता दें कि माननीय उच्च न्यायालय का फैसले के बाद जिला सहित अनुमंडल प्रशासन रेस है इस बाबत इस बाबत अनुमंडल पदाधिकारी द्वारा अतिक्रमण मुक्त कराने के दौरान विधि व्यवस्था के संधारण सोमवार को जारी पत्रांक 488 में गोमिया बीडीओ कपिल कुमार, सीओ संदीप अनुराग टोपनो, पशुपालन पदाधिकारी सुरेश प्रसाद व सीआई लालमोहन दास को दंडाधिकारी के रूप में प्रतिनियुक्त कर दिया गया है। जिसमें 12 जून को गोमिया आवासीय कॉलोनी को अतिक्रमण मुक्त कराने से पूर्व अंचलाधिकारी गोमिया को ध्वनि विस्तारक यंत्र के माध्यम से व्यापक प्रचार प्रसार कराने के निर्देश दिए हैं। इसीप्रकार सभी प्रतिनियुक्त दंडाधिकारी को अतिक्रमण हटाने की सम्पूर्ण प्रक्रिया की विवरणी व वीडियोग्राफी कराने के भी निर्देश दिए हैं। वहीं आईईएल थाना प्रभारी को प्रतिनियुक्त दंडाधिकारियों से समन्वय स्थापित कर विधिव्यवस्था के संधारण सहयोग करने के निर्देश दिए गए हैं।
बता दें कि झारखंड हाई कोर्ट ने राज्य आवास बोर्ड की जमीन और फ्लैटों के अतिक्रमण की रिपोर्ट मांगी थी। अदालत ने सरकार को यह बताने को कहा था कि राज्य में हाउसिंग बोर्ड की जमीन और फ्लैट कहां-कहां है। जमीन और फ्लैट में कितना अतिक्रमण है। राज्य में बोर्ड के कितने फ्लैंट हैं और कितने पर अतिक्रमण किया गया है। इसकी पूरी रिपोर्ट अदालत ने शपथपत्र के माध्यम से पेश करने का निर्देश दिया था।
मामले में ताजा अपडेट यह है कि मामले में जितनी सक्रियता से राजनीति हो रही है विधिव्यवस्था के संधारण प्रशासन भी अपनी तैयारियां पुख्ता करने में जुटी है। विश्वसनीय सूत्रों की मानें तो आईईएल थाना पुलिस बोकारो के पुलिस कप्तान से अतिरिक्त बलों की मांग की है।