गोमिया। देश को आजाद हुए दशकों बीत गए झारखंड निर्माण के 22 साल बीत गए सियासतें और सरकारें बदली, अधिकारी पदाधिकारी भी बदलते रहे लेकिन नहीं बदली तो गोमिया प्रखंड के सुदूरवर्ती सिंयारी पंचायत अंतर्गत बिरहोरडेरा गांव के ग्रामीणों के किस्मत। हाशिए में जी रहे यहां के लोगों की ज़िंदगी भी खटिया में गुजरती है और मौत भी उसी खटिया में खटकती है।
सिंयारी पंचायत के बिरहोरडेरा गांव से ऐसी तस्वीर सामने आना कि एक महिला को इलाज के लिए चारपाई पर लिटा कर चार किलोमीटर तक कंधों का सहारा दे कर ले जाना और मौत हो जाने पर उसी चारपाई से ले आना पड़े तो ये अपने आप में कई बड़े सवाल खड़े करता है।
तस्वीर में पथरीले रास्ते से जिस महिला को खाट पर लिटा कर ले जाते दिख रहा है उसका नाम सुरुजमुनी देवी (40) SURUJMUNI DEVI है। मामला गोमिया प्रखंड के अंतर्गत आने वाली सिंयारी पंचायत के संथाली व आदिवासी बाहुल्य बिरहोरडेरा का है। जहां बीते 29 मई को बीमार सुरुजमुनी देवी को चार किलोमीटर दूर कोयोटांड़ तक चारपाई पर ले जाया गया, ताकि उसे आगे रामगढ़ इलाज के लिए ले जाया जा सके। किराए के निजी वाहन से उसे रामगढ़ के एक अस्पताल में जाया गया जहां बीते मंगलवार यानि 31 मई को इलाज के दौरान इसकी मौत हो गई। जिसे पुनः रामगढ़ से सिंयारी के कोयोटांड़ तक किराए के वाहन से लाने के बाद मृतका के शव को ग्रामीणों खटिया के सहारे बल्ली लगाकर चार किलोमीटर बिरहोरडेरा लाया गया और उसका अंतिम क्रियाकर्म कर दिया गया।
"नक्सल प्रभावित सुदूरवर्ती और दुर्गम क्षेत्र होने के कारण यह मामला गुरुवार को मीडिया में उस वक्त प्रकाश में आया जब गांव के ही एक सख्श ने मोटी लकड़ी की बल्ली और रस्सी के सहारे उससे बंधी खटिया और उपस्थित ग्रामीणों की भीड़ की पूरे घटनाक्रम को अपने मोबाईल में कैद कर लिया और सोशल मीडिया में वायरल कर दिया।"
मृतका सुरुजमुनी देवी के दो पुत्र है क्रमशः नकुल सोरेन (23) व रामेश्वर सोरेन (19) हैं जो घटना के बाद शोकग्रस्त है। बेटों ने बताया कि उनके पिता कमल मांझी का देहांत भी दो वर्ष पूर्व इसी तरह के बीमारी के करण ही हो गया था। बताया कि उसकी मां बुखार से पीड़ित थी जिसे रविवार को खाट में लादकर बिरहोरडेरा से कोयोटांड़ तक ले जाया गया जहां से किराए की गाड़ी में रामगढ़ के एक निजी अस्पताल ले जाया गया और मंगलवार सुबह उसकी इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। बताया कि पुनः उसी अवस्था में घर लाया गया और अंतिम संस्कार किया गया। डॉक्टरों ने मौत का कारण ब्रेन हेम्ब्रेज बताया है।
यह कहानी अकेली सुरुजमुनी देवी की नहीं है। ग्रामीण बिरालाल मांझी के मुताबिक गर्भवती महिलाओं व अन्य बीमार लोगों को भी प्रसव या बीमारी के वक्त इसी प्रकार खाट पर ले जाना पड़ता है। उनका ये भी कहना है कि बुनियादी सुविधाओं के अभाव में आज भी वे आदिम युग में जीने को मजबूर हैं। बताया कि मरीजों को अस्पताल लाने के लिए 108 एंबुलेंस का इस्तेमाल होता है परंतु विकास से पूरी तरह पिछड़े इस गांव तक एम्बुलेंस भी नहीं पहुंचता।
वहीं काशीटांड़ निवासी रामचंद्र मुर्मू ने बताया कि वहां तक पहुंचने कब लिए कोई पक्की सड़क नही है, पाइन के पानी के लिए बोकारो नदी पर आश्रित होना पड़ता है और यही हाल बिजली व्यवस्था की भी है 2018-19 में बिजली तो पहुची परंतु तीन माह के बाद वह भी कटी सो कटी रहा गई। बताया कि बिजली के सप्लाई तार जल जाने के बाद कई बार विधायक, सांसद और संबंधित विभाग से मामले को अवगत कराया गया परंतु तीन साल गुजरने को है बिजली नहीं मिली।