गढ़वा : गढ़वा शहर के बीच से बहने वाली दो महत्वपूर्ण नदियों का अस्तित्व ही खतरे में पड़ गया है। यह नदी अब धीरे-धीरे नाला में तब्दील हो गया है। लगातार प्रयास के बाद भी नदी के अस्तित्व को बचाने में कामयाबी नहीं मिल पा रही है। पिछले वर्ष भवनाथपुर विधायक भानु प्रताप शाही व नगर परिषद के द्वारा इन नदियों के अस्तित्व को बचाने का एक छोटा सा प्रयास किया गया था। लेकिन इसका भी कोई असर नहीं दिख रहा है।
शहर के बीचोंबीच गुजरी सरस्वती नदी आज नाले में तब्दील हो गई है, वहीं शहर की लाइफलाइन माने जाने वाली दानरो नदी भी अतिक्रमणकारियों से नहीं बच सकी है। इस मामले में कार्रवाई को लेकर अंचल कार्यालय एवं नगर परिषद एक दूसरे को जिम्मेवार बता रहे हैं।
गढ़वा शहर के बीच से दो नदियां गुजरी है, जिनमें एक पश्चिम से पूरब सरस्वती नदी एवं दूसरी दक्षिण से उत्तर दानरो नदी। पहले आबादी कम थी और इन्हीं नदियों से लोग नहाने से लेकर पीने तक का पानी इस्तेमाल करते थे। गर्मी के दिनों में शहरवासियों को इन नदियों के द्वारा शीतलता प्राप्त होती थी और पानी से संबंधित अधिक काम-काज लोग इन्हीं नदियों से करते थे।
लगातार नदियों के अतिक्रमण से उनके सतीत्व पर खतरे का बदल मंडराता रहा। लेकिन लोग नहीं चेते। नतीजा यह हुआ कि वर्तमान में सरस्वती नदी नाले में तब्दील हो गयी है। नदी के दोनों किनारों पर अतिक्रमणकारियों के द्वारा बड़े-बड़े भवनों का निर्माण कराया जा रहा है और कई भवन तो पहले ही बनाए जा चुके हैं।
वहीं नदी के दोनों छोर पर बसे शहर के लोगों के सीवरेज का गंदा पानी भी सरस्वती नदी में आकर जमा हो जाता है। जिससे पानी काफी दूषित हो गया है। नदी में जमा पानी काला व जहरीला हो गया है। यह पशु पक्षी के पीने के लायक भी नही है। वहीं शहर के बीच से गुजरी दानरो नदी पर अतिक्रमण का सिलसिला अभी भी जारी है। जिसके कारण शहर की लाइफ लाइन कही जाने वाली यह नदी नाला बनता जा रहा है।
विदित हो कि अतिक्रमण को लेकर न्यायालय के निर्देश पर पिछले दिनों जिला प्रशासन ने सड़क के चौक चौराहो पर खानापूर्ति कर अपनी ड्यूटी समाप्त कर ली। लेकिन नदियों के अस्तित्व को हो रहे नुकसान को लेकर सरकार व जिला प्रशासन मुकदर्शक बनी हुई है। अगर समय रहते ही इन दोनों नदियों के अस्तित्व को नहीं बचाया गया तो आने वाले दिनों में इनका नमो-निशान मिट जाएगा।