गढ़वा : दुबे मरठिया निवासी अशोक दुबे (50 वर्ष), जो हाथ और पैर से दिव्यांग हैं, आज न्याय के लिए दर-दर भटक रहे हैं। अशोक ने अपनी पुश्तैनी जमीन का हिस्सा बेचकर 3 लाख रुपये गांव के ही विनोद चंद्रवंशी और उनकी पत्नी सुनीता देवी को इसलिए दिए थे ताकि वे जीवनभर उनकी देखभाल करें। लेकिन वादे तोड़े गए, और अब अशोक अकेलेपन और धोखे के शिकार हैं।
अनाथ और अविवाहित अशोक दुबे को कोई देखभाल करने वाला नहीं था। उनकी इस स्थिति को देखते हुए विनोद और उनकी पत्नी ने उनकी सेवा करने का वादा किया और कहा कि गोतिया विवाद से बचने के लिए जमीन बेचकर पैसे दे दें। अशोक दुबे ने 2 कट्ठा जमीन बेचकर 3 लाख रुपये विनोद को दिए। इन पैसों से विनोद ने अपने लिए नया मकान बना लिया, लेकिन इसके बाद अशोक दुबे की सेवा करना बंद कर दिया।
जब अशोक दुबे ने सेवा की बात उठाई तो विनोद ने इसे मजदूरी बता कर मामले को टाल दिया। अशोक दुबे ने जमीन बेचने के समय सेवा का लिखित एग्रीमेंट भी कराया था, लेकिन अब वह कागज भी उनके लिए बेकार साबित हो रहा है।
अशोक दुबे ने इस धोखाधड़ी के खिलाफ सदर थाना में आवेदन दिया, लेकिन एक महीने बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हुई। मजबूर होकर अशोक दुबे फिर से थाना पहुंचकर न्याय की गुहार लगा रहे हैं। उनका कहना है कि उन्हें न तो सेवा मिल रही है और न ही पैसे वापस किए जा रहे हैं।