कांडी : सतबहिनी झरना तीर्थ स्थल पर 2018 में प्रारम्भ हुए अस्पताल भवन का निर्माण कार्य आखिर कब होगा पूरा, सबके जेहन में यही सवाल कौंध रहा है। इसका उदघाटन 8 अप्रैल 2018 को पूर्व स्वास्थ्य मंत्री रामचंद्र चंद्रवंशी ने विधिवत शिलान्यास कर किया था। उन्होंने कहा था कि सवा दो करोड़ की लागत से बनने वाला इस अस्पताल से लोगों को काफी लाभ होगा। किन्तु अब तक भवन भी तैयार नहीं हो सका है, लोगों को लाभ मिलना तो दूर की बात है। यह मामला जिले के कांडी प्रखण्ड क्षेत्र अंतर्गत प्रसिद्ध सतबहिनी झरना तीर्थ स्थल में आधा-अधूरा पड़े एक अस्पताल भवन की।
तकरीबन 3 वर्षों से अस्पताल भवन यूं ही अपने नियत स्थान पर खड़ा है। बल्कि यों कहें कि ठीकेदार व विभाग की लापरवाही का आलम यह कि 3 वर्षों में भी निर्माणाधीन अस्पताल पूर्ण रूप से बनकर तैयार नहीं हो सका।
वहीं जो भी निर्माण कार्य अब तक हुआ उसमें भी संवेदक द्वारा घोर लापरवाही व अनियमितता बरती गई है। बरसाती पानी कमरे में ही गिरता है, जिससे छत की मजबूती साफ-साफ देखा जा सकता है। वहीं बात करें ईंट का तो इश्तेमाल किया गया ईंट पुनः इस्तेमाल किया जा रहा है। सरकार द्वारा अस्पताल का टेंडर दिया गया है, इस उद्देश्य से की भवन मजबूत बनाए जाएं। सुविधा उपलब्ध कराई गई है कि तीर्थ स्थल में पहुंचने वाले बीमार श्रद्धालु व ग्रामीण उक्त अस्पताल में इलाज करा सकें। उक्त सभी बातों की जानकारी झामुमो युवा नेता सत्येन्द्र कुमार पांडेय उर्फ पिंकू पांडेय ने दी।
उन्होंने बताया कि उक्त अस्पताल भवन का निर्माण कार्य 2018 ई. में प्रारम्भ किया गया था।
अब तक भी भवन पूर्ण रूप से बनकर तैयार नहीं हो सका है। उन्होंने संवेदक पर आरोप लगाया है। उन्होंने कहा सबसे निम्न स्तर का ईंट व गिट्टी प्रयोग में लाया गया है। कहा कि उक्त अस्पताल भवन में मजबूती के साथ कार्य नहीं किया गया है, जो जांच का विषय है। उन्होंने कहा बरसाती पानी भवन के छत पर नहीं टिकता है, बल्कि कमरे में ही शंकर भगवान के जटा की तरह पानी टिपकता रहता है। यदि कमरे में ही छत का पानी गिरे तो उक्त भवन बनने से क्या लाभ? उन्होंने कहा कि यदि उक्त भवन की जांच नहीं की गई व संवेदक पर कार्रवाई नहीं की गयी तो इस घटिया निर्माण का शिकायत ऊपर करूँगा।