सगमा : गढ़वा जिला मुख्यालय से करीब 60 किलोमीटर की दूरी पर स्थित धुरकी प्रखंड के मनोरम स्थल सुखलदरी जल प्रपात बाड़ दिन एवं वर्ष के अंतिम महीने दिसंबर में पयटकों की भीड़ उमड़ने लगी है. सुखलदरी जलप्रपात नव वर्ष के आगमन को सेलिब्रेट करने और पुराने साल को विदा करने के लिए गढ़वा जिला ही नहीं बल्कि झारखंड प्रदेश के विभिन्न जिले से लेकर पड़ोसी राज्य छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश के पर्यटकों के लिए सबसे उपयुक्त स्थान माना जाता है.
वर्ष के अंतिम महीना दिसंबर से लेकर जनवरी तक यहां खूब धूमधाम से और बड़े ही मस्ती और उमंग के साथ पर्यटक सपरिवार पिकनिक मनाने आते हैं. और प्रकृति के सबसे मनोरम स्थल का वीडियो तथा सेल्फी लेने में मस्गुल हो जाते हैं. सुखलदरी जलप्रपात की सबसे बड़ी खासियत यह है कि कनहर नदी के दोनों किनारे पर हरे भरे जंगलों से घिरा हुआ कनहर नदी की जलधारा 100 फीट ऊंचे चट्टान से जब नीचे की ओर झरना का रूप लेकर गिरती है. तो उसे देखकर लोगों की निगाहें कुछ देर तक टिकी की टिक्की रह जाती है.और उससे टकराकर जब दूध की तरह फव्वारा बनते हैं और जब उस पर सूर्य की किरण पड़ती है तो सतरंगी नजारा देखते ही बनता है. यह जलप्रपात पूरी तरह से प्रकृति संरचनाओं से रचा हुआ है. जलप्रपात के आसपास बैठने के लिए पार्कनुमा डिजाइन की कुर्सियों का निर्माण भी किया गया है. वहीं ठहरने के लिए सभी सुविधा युक्त रेस्ट हाउस का भी निर्माण कर दिया गया है. यहां पहुंचाने के लिए परासपानी मोड़ से मुख्य पथ से पीसीसी सड़क का निर्माण किया गया है. यहां पर्यटकों को पहुंचने के लिए अनेक मार्ग हैं वैसे तो जिला मुख्यालय से एनएच 75 स्थित बंशीधर नगर अनुमंडलीय मुख्यालय से सीधे मार्ग से निजी वाहन के माध्यम से पहुंचा जा सकता है. गढ़वा जिला के मेराल के मार्ग से भी सीधे जलप्रपात तक पहुंचा जा सकता है.वहीं बंशीधर नगर रेलवे स्टेशन से किराए के वहान से पहुंचा जा सकता है.कनहर नदी जलप्रपात को कर्पूरी ठाकुर पर्यटन स्थल के नाम से भी जाना जाता है.यहां 14 जनवरी मकर संक्रांति के अवसर पर बहुत भव्य मेला का आयोजन किया जाता है.जिसमे हजारों की संख्या में पड़ोसी राज्य युपी एवं छत्तीसगढ़ से मेला मे लोग पहुंचते हैं. सुरक्षा की दृष्टि कोन से धुरकी पुलिस की ओर से दिसंबर महीने से ही सुखलदरी जलप्रपात की सुरक्षा व्यवस्था कड़ी हो जाती है.