गढ़वा : उपायुक्त गढ़वा ने अपने स्थानांतरण के ऐन वक्त रातों रात गढ़वा जिले के नौ कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों के वार्डेन एवं लेखपालों को वित्तीय वर्ष 2014-15 में हुए निविदा प्रक्रिया में अनियमितता के आरोप में कार्रवाई करते हुए सेवा से कार्यमुक्त कर दिया है।
इन्हीं नौ वार्डनों में से एक वार्डेन जो उस निविदा प्रक्रिया 2014-15 में कस्तूरबा गांधी विद्यालय dandae की श्रीमती पुष्पा कुमारी पूर्णकालिक शिक्षिका (सामाजिक विज्ञान) के पद पर कार्यरत थीं, उन्हें भी सेवा से कार्यमुक्त कर दिया गया है।
इस बाबत पुष्पा कुमारी ने बताया कि वर्ष 2014-15 में कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय Dandai में मेसर्स चित्रा कंस्ट्रक्शन एवं मेसर्स चन्द्रते कंस्ट्रक्शन से विभिन्न सामग्रियों जैसे- कम्बल, चादर, तकिया, तकिया खोल, मच्छरदानी, दरी, बेड, तोशक, तकिया,गद्दा आदि का क्रय तत्कालीन जिला शिक्षा अधीक्षक अरविंद कुमार के द्वारा लिखित निर्देश पत्र (जिसका पत्रांक 341,दिनांक-28/03/2014 है) के आधार पर एवं विद्यालय के प्रबंधन समिति एवं क्रय समिति के निर्णयोपरांत किया गया था।
जिसका भुगतान तत्कालीन जिला शिक्षा अधीक्षक अरविंद कुमार के निर्देश पर तात्कालिक वार्डेन "श्रीमती रेखा कुमारी" के कार्यकाल में किया गया था। जबकि मै उस अवधि में इस विद्यालय में सामाजिक विज्ञान की पूर्णकालिक शिक्षिका के पद पर कार्यरत थी।परन्तु, जिला शिक्षा विभाग के द्वारा बार-बार विगत चार वर्षों से मुझे वार्डेन-सह-शिक्षिका के पदनाम से सम्बोधित कर उक्त विवादित निविदा प्रकरण में हमसे बार-बार स्पष्टीकरण पृच्छा की जाती रही।यहाँ तक कि मुझ पर आर्थिक दण्ड के रूप में दो वेतन वृद्धि काटने एवं राशि रिकभरी करने का पत्र निर्गत किया गया। मैं बार-बार अपना सभी स्पष्टीकरण का जबाब साक्ष्यों के साथ शिक्षा विभाग को सशरीर कार्यालय में उपस्थित होकर जमा किया और मौखिक रूप से भी जिला शिक्षा पदाधिकारी और उपायुक्त गढ़वा से अपनी बेगुनाही का सबूत पेश करते हुए इस प्रकरण से मुक्त करने हेतु गुहार लगायी।
परन्तु, दोंनो पदाधिकारियों के द्वारा मुझे दलित महिला शिक्षिका समझकर मेरे द्वारा प्रस्तुत साक्ष्य सहित आवेदन पत्र पर विचार नहीं किया गया और मानसिक रूप से बार-बार प्रताड़ित किया गया।
मैंने अंत मे सूबे के माननीय विधायक सह मन्त्री मिथिलेश कुमार ठाकुर जी से भी प्रार्थना पत्र सौंपते हुए गुहार लगाई। लेकिन अंततः उपायुक्त गढ़वा ने माननीय मंत्री जी की अनुशंसा को दरकिनार करते हुए स्थानांतरण के ऐन वक्त रातों रात सभी नौ कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों के वार्डेन के साथ हमें भी कार्यमुक्त कर दिया ।इसके पूर्व हमलोगों ने मजबूरन माननीय उच्च न्यायालय राँची में भी उक्त प्रकरण से मुक्त करने हेतु याचिका दायर किया था। लेकिन उपायुक्त राजेश पाठक के द्वारा माननीय उच्च न्यायालय के आदेश का इंतज़ार किये बिना ही आनन फानन में तानाशाही रवैया अपनाते हुए सेवा से कार्यमुक्त कर दिया गया।
मैं अभी भी वर्तमान उपायुक्त गढ़वा एवं जिला शिक्षा पदाधिकारी से आग्रह करूंगी कि इस मामले को पुनः जांच कराया जाए और माननीय उच्च न्यायालय के आदेश आने तक सेवा में यथावत रखने की कृपा की जाये।ताकि आगामी मैट्रिक एवं इंटर की परीक्षा देने वाले छात्राओं की परीक्षा की तैयारी प्रभावित न हो। साथ ही साथ हमारे बाल-बच्चों के पेट पर लात न मारा जाए।मैं आपसभी मीडिया बन्धुओं से भी आग्रह करती हूँ कि अपने मीडिया के माध्यम से इस प्रकरण से मुझे एवं अन्य शिक्षिकाओं एवं लेखापालों को मुक्त कराने की असीम कृपा करें।