हरबंस सिंह सलूजा ने JRD की 27वी पुण्यतिथि पर उन्हें खिराजे अक़ीदत पेश करते हुए कहा के जहाँगीर रतन जी दादाभाई टाटा की उनकी 27 वीं पुण्य तिथि पर विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए शत शत नमन करता हूँ। कहा के भारतीय नागरिक उड्डयन के पिता 1932 में टाटा एयरलाइंस की शुरुआत की। इजियरिंग की पढाई कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से पुरी की। 34 साल की उम्र में टाटा संसद के चेयरमैन बने। देश में इसपात इंजियरींग, होटल, वायु यान और उद्योग का बड़े पैमाने पर विस्तार किया। उन्होंने आगे बताया के दशकों तक विशाल टाटा समूह की कम्पनीयों का मार्गदर्शन किया। 1957 में भारत पद्यम विभूषण एंव 1992 में सर्वोच्य अलंकरण भारत रत्न पुरस्कार से सम्मानित किया गया। 29 नवम्बर 1993 को जनेवा में गुर्दा ख़राब होने पर उनका निधन हो गया। भारत सरकार ने सम्मान में संसद की सदन स्थगित कर दी थी। मरने परांत उन्हें पेरिस में पेरे लेचसे नामक कब्रिस्तान में दफ़ना दिया गया। वे खास कर जमशेदपुर के लोगों के दिलों में हमेशा बसे रहेगें। उनके ज़रिए जमशेदपुर में तमाम समुदाय के लोगों के लिए शानदार कार्य किये गए जिसे लफ़्ज़ों में बयान नहीं किया जा सकता। रतन टाटा के कार्य हमेशा सराहनीय रहेंगे और वो हमेशा युवाओं के लिए प्रेरणा बने रहेंगे।