स्वर्गीय महेंद्र सिंह टिकैत का बेटा है राकेश टिकैत। आज उन्होंने साबित कर दिया है कि एक असल किसान नेता का खून बह रहा हैं उनकी नसों में। आज उनके आंसुओं ने बता दिया कि किसानों से उनका वास्ता राजनीति नही है भावनात्मक है सरोकारों वाला है। अब यह आंदोलन लंबा हो गया है। यह पुलिस बल का प्रयोग, लाठीचार्ज, धरने को हटाना आंदोलन का हिस्सा है, इससे घबराने की जरूरत नही है।
बीजेपी पश्चिमी यूपी, हरियाणा, पंजाब के किसानों को कम करके अ रही है। यह आंदोलन कोई धरना खत्म करता देने से नही रुकेगा। धरने को बलपूर्वक खत्म कराने का मतलब खुद ही दियासलाई जलाकर आने घर मे फेंक देने जैसा है। पुलिस ,मीडिया और भाजपा समर्थकों की मिलीजुली ताकत किसानों से जीत जाएगी मुझे नही लगता।
याद रखिये महेंद्र सिंह टिकैत की एक आवाज और लाखों किसान घर छोड़कर सड़क पर आ जाते थे अब राकेश टिकैत ने अपने पिता की जगह हासिल कर ली है।सरकार ने राकेश टिकैत को और ताक़तवर बना दिया है।आज अगर बॉर्डर पर कुछ अप्रिय होता है तो संसद ही नही देश चलाना भी मुश्किल हो जाएगा। शांति स्थापित करने का एकमात्र तरीका काले कानून को वापस लेना है।