𝐔𝐦𝐞𝐬𝐡 𝐘𝐚𝐝𝐚𝐯
𝐆𝐚𝐫𝐮 (𝐋𝐚𝐭𝐞𝐡𝐚𝐫):- पलामू टाइगर रिजर्व (पीटीआर) एक बार फिर बाघों की उपयुक्त आवास बनाने के प्रयासों में सक्रिय हो गया है. तत्कालीन बारेसांढ़ रेंजर तरुण कुमार सिंह के प्रयास से जोड़ा सखुवा नामक स्थान पर सामर सॉफ्ट रिलीज़ सेंटर बनाने के साथ ही यह पहल शुरू हुई थी. इसके बाद हिरण और सामर को रिजर्व फॉरेस्ट के सॉफ्ट रिलीज सेंटर में लाया गया है. बारेसांढ़ रेंज के जोड़ा सखुवा,टेनो, बैगिन दह, हेनार, रामनदाग और परसापानी में यह माहौल तैयार हो गया है. यह पहल न केवल वन्यजीवों के संरक्षण के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि टाइगर रिजर्व में बाघों के लिए अनुकूल इको सिस्टम तैयार करने की दिशा में भी एक बड़ा कदम है.
क्या है सॉफ्ट रिलीज सेंटर?(𝘄𝗵𝗮𝘁 𝗶𝘀 𝗮 𝘀𝗼𝗳𝘁 𝗿𝗲𝗹𝗲𝗮𝘀𝗲 𝗰𝗲𝗻𝘁𝗿𝗲?)
सॉफ्ट रिलीज सेंटर वह स्थान है जहां जंगली जानवरों को जंगल में छोड़े जाने से पहले एक कण्ट्रोल्ड एनवायरनमेंट में रखा जाता है. यह प्रक्रिया उनके प्राकृतिक आवास में वापस लौटने की तैयारी के लिए की जाती है ताकि इन जानवरों को प्राकृतिक परिस्थितियों में ढलने और खुद को जंगल के जीवन के अनुरूप बनाने का अवसर मिलता है.
आखिर हिरण और सामर ही क्यों हैं महत्वपूर्ण?(𝗪𝗵𝘆 𝗗𝗲𝗲𝗿 𝗮𝗻𝘀 𝗦𝗮𝗺𝗮𝗿 𝗶𝗺𝗽𝗼𝗿𝘁𝗮𝗻𝘁?)
हिरण और सामर जंगल के इको सिस्टम में मुख्य शाकाहारी प्रजातियों में से एक हैं. ये जानवर बाघ जैसे शिकारियों के लिए प्रमुख और आकर्षक आहार के स्रोत हैं. इनके जंगल में उचित संख्या में होने से बाघों को पर्याप्त भोजन उपलब्ध होता है, जिससे उनके प्राकृतिक आवास को मजबूत किया जा सकता है.
बाघों के पुनर्वास के लिए आवश्यक कदम(𝗡𝗲𝗰𝗲𝘀𝘀𝗮𝗿𝘆 𝗵𝗲𝗶𝗴𝗵𝘁 𝗳𝗼𝗿 𝗿𝗲𝗵𝗮𝗯𝗶𝗹𝗶𝘁𝗮𝘁𝗶𝗼𝗻 𝗼𝗳 𝗧𝗶𝗴𝗲𝗿)
पलामू टाइगर रिजर्व में 1990 से 2015 के बिच से बाघों की संख्या में लगातार गिरावट देखी जा रही थी. उप निदेशक जिसका कारण बताते हैं कि, उन दिनों में अधिकारीयों की क्षेत्र भ्रमण करना आसान नहीं था. हालांकि इन दिनों लगातार पीटीआर में बाघ की मौजूदगी के प्रमाण मिल रहे हैं. बाघ की उपस्थिति को सुधारने के लिए जंगल में शाकाहारी जानवरों की संख्या बढ़ाने की आवश्यकता महसूस की गई. इसी उद्देश्य से हिरण और सामर को लाकर सॉफ्ट रिलीज सेंटर में रखा गया है.
उप निदेशक कुमार आशीष नें कहा(Deputy Director Kumar Ashish said)
पलामू टाइगर रिजर्व के दक्षिणी क्षेत्र के उपनिदेशक कुमार आशीष ने कहा कि बाघों के सुरक्षित प्रवास के लिए उपयुक्त वातावरण तैयार किया जा रहा है, जिसमें हिरणों का पुनर्वास भी शामिल है. एक बाघ के सुरक्षित प्रवास के लिए आवश्यक होता है कि उसके क्षेत्र में पर्याप्त शिकार और कम से कम तीन बाघिन मौजूद हों. एनटीसीए (राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण) के निरीक्षण और स्वीकृति मिलने के बाद, भविष्य में यहां मध्य प्रदेश के राष्ट्रीय उद्यान से बाघ लाने की योजना बनाई जा सकती है.