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सुशाशन दिवस कि हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं!

location_on Panki Jharkhand India access_time 25-Dec-20, 01:07 PM

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अटल बिहारी वाजपेयी, एक कुशल और दूरदृष्टा राजनीतिज्ञ, हिन्दी के कवि और पत्रकार, जनसंघ के संस्थापकों में से एक और भारत के दसवें प्रधानमंत्री थे। उनका जन्म 25 दिसंबर, 1924 को ग्वालियर, मध्य प्रदेश के एक विनम्र स्कूल शिक्षक के परिवार में हुआ। उनकी बी.ए. तक की शिक्षा ग्वालियर के विक्टोरिया कालेज में हुई, तत्पश्चात् कानपुर के डीएवी कॉलेज से राजनीति शास्त्र में एम॰ए॰ किया, फिर क़ानून की पढ़ाई शुरू की पर उसे बीच में विराम दे दिया। छात्र जीवन से वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े और तभी से राष्ट्रीय स्तर की वाद-विवाद प्रतियोगिताओं भी में भाग लेते रहे, इसी क्रम में डॉ॰ श्यामा प्रसाद मुखर्जी और पण्डित दीनदयाल उपाध्याय के सम्पर्क में आए और फिर उनके निर्देशन में राजनीति का पाठ पढ़ा। वे पाञ्चजन्य, राष्ट्रधर्म, दैनिक स्वदेश और वीर अर्जुन जैसे पत्र-पत्रिकाओं के सम्पादक रहे। उन्होंने जीवन में कई कविताओं की रचना की, 'मेरी इक्यावन कविताएँ' अटल जी का प्रसिद्ध काव्यसंग्रह है। उन्हें संगीत सुनने और खाना बनाने का भी बहुत शौक़ था। 1957 में जनसंघ के प्रत्याशी के रूप में, पहली बार वे लोकसभा चुनाव जीत कर सांसद बने, और 1977 में जनता पार्टी की स्थापना तक वे जनसंघ के संसदीय दल के नेता रहे। 1977 से 1979 तक वे मोररजी देसाई की सरकार में विदेश मंत्री रहे, पर 1980 में उन्होंने जनता पार्टी छोड़ी और 6 अप्रैल 1980 को नई पार्टी 'भारतीय जनता पार्टी' की स्थापना हुई, और वे उसके अध्यक्ष बनाए गए। 1996 में अटल जी, भारत के प्रधानमंत्री बने, और सरकार के गिरने उपरांत 13 अक्तूबर 1999 में पुनः प्रधानमंत्री की शपथ ली। उनके नेतृत्व में 13 दलों की गठबंधन सरकार ने पाँच वर्षों में देश के अन्दर प्रगति के अनेक आयाम छुए। वाजपेयी जी राजनीति के क्षेत्र में चार दशकों तक सक्रिय रहे। वह लोकसभा में नौ बार और राज्य सभा में दो बार चुने गए जो अपने आप में ही एक कीर्तिमान है। उनके प्रधानमंत्रित्व काल में ही भारत ने पोखरण में परमाणु परीक्षण किया और 1999 का पाकिस्तान के विरुद्ध, कारगिल युद्ध जीता। उनके समय में लिए गए कुछ अहम फ़ैसलों, जैसे स्वर्णिम चतुर्भुज सड़क परियोजना, विनिवेश मंत्रालय का गठन, नई टेलिकॉम नीति, पोखरण परीक्षण, लाहौर-आगरा समिट, पोटा क़ानून, संविधान समीक्षा आयोग का गठन और जातिवार जनगणना पर रोक, ने देश की तक़दीर बदल कर रख दी। देश के प्रति उनके निःस्वार्थ समर्पण और 50 से अधिक वर्षों तक देश की सेवा के लिए उन्हें 1992 में पद्मविभूषण, दिया गया, 1994 वे सर्वश्रेष्ठ सांसद चुने गए, और बहुत सारे पुरस्कारों और उपाधियों से उन्हें नवाज़ा गया। ''हिन्दू तन-मन हिन्दू जीवन, रग-रग हिन्दू मेरा परिचय" रचने वाले इस सदी में महान युगपुरुष ने 16 अगस्त 2018 को दिल्ली में अपनी अंतिम साँस ली। 2015 में मरणोप्रांत उन्हें 'भारत रत्न' से सम्मनित किया गया। आज उनकी जयंती पर उन्हें कोटि कोटि नमन और सभी देशवासियों को 'सुशाशन दिवस' की हार्दिक शुभकामनाएं। #AtalBihariVajpayee
campaign यह आम पब्लिक के द्वारा पोस्ट की गयी न्यूज़ / शिकायत / सुझाव है ।




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