गढ़वा : स्थानीय बीपी डीएवी पब्लिक स्कूल के दसवीं कक्षा का परिणाम शत प्रतिशत रहा। विद्यालय की छात्रा
परी प्रियदर्शिनी ने 98.6 अंको के साथ सर्वोच्च स्थान प्राप्त किया। द्वितीय स्थान पर रहे
सुशांत कुमार पांडेय ने 97.8%अंक प्राप्त किया। तृतीय स्थान पर रही
मधु कुशवाहा ने 94.8% अंक प्राप्त किया।
दशवीं की परीक्षा में विद्यालय के कुल 170 बच्चे भाग लिए थे जिसमें सभी 170 बच्चे उत्तीर्ण होने में कामयाब हुए।
डॉक्टर बनना चाहती है टॉपर परी प्रियदर्शिनी
प्रथम स्थान प्राप्त करने वाली छात्रा परी प्रियदर्शिनी ने बताया कि वो डॉक्टर बंद कर देश की सेवा करना चाहती हैं। उन्होंने कहा कि परीक्षा के लिए 9 से 10 घंटा निरंतर पढ़ाई करती थी।
परी ने अपने इस बेहतर परिणाम का श्रेय अपने माता पिता एवं गुरुजनों को को दिया। उन्होंने कहा कि मेरे माता-पिता मुझे कभी भी किसी बात के लिए दबाव नहीं बनाए और ना ही मुझ किसी भी तरह से किसी चीज के लिए बाध्य किया। अपितु वह हमेशा मुझे प्रोत्साहित करते रहते थे। उन्होंने कहा कि विद्यालय में भी मुझे बिल्कुल परिवार जैसा ही माहौल मिला। मैं बीपीडीएवी में यूकेजी से पढ़ रही हूं और इस दौरान मुझे सभी शिक्षकों का स्नेह निरंतर मिलता रहा। कभी भी किसी भी समय किसी भी शिक्षक से अपने किसी भी शंका का समाधान कर सकती थी। सभी शिक्षक सहयोग की भावना रखते हैं।
इस सफलता से गदगद परी के पिता प्रकाश सिन्हा ने इसका श्रेय विद्यालय के शिक्षकों एवं परी के परिश्रम को देते हुए कहा कि मुझे अपनी बिटिया पर गर्व है।
किसी भी अभिभावक के लिए यह क्षण गौरवपूर्ण होता है। उन्होंने कहा कि हम अभिभावकों को बच्चों के ऊपर किसी भी प्रकार का अतिरिक्त दबाव नहीं देना चाहिए। अपितु मार्गदर्शक मित्र एवं सहायक के रूप में उनका जीवन मार्ग प्रशस्त करना चाहिए।
इंजीनियर बनना चाहते हैं दूसरे टॉपर सुशांत
द्वितीय टॉपर सुशांत पांडेय ने कहा कि मैं अपने रिजल्ट का श्रेय अपने माता पिता एवं परिवार और डीएवी के शिक्षकों को देना चाहूंगा। डीएवी के शिक्षकों ने मुझे हर मार्ग पर सहायता प्रदान किया तथा मुझे सहयोग किया। उन्होंने समय-समय पर मेरा मार्गदर्शन किया। मैं आगे चलकर IIT इंजीनियर बनना चाहता हूं और देश की सेवा करना मेरा प्रथम लक्ष्य होगा। मैं प्रतिदिन 6 से 8 घंटे पढ़ाई करता था।
डॉक्टर बनना चाहती है मधु कुशवाहा
तीसरे स्थान पर रही मधु कुशवाहा ने कहा कि सफलता का श्रेय अपने माता पिता एवं एवं सभी गुरुजनों को देना चाहती हूं। मैं डॉक्टर बनना चाहती हूं। मैंने विद्यालय की पढ़ाई एवं गृह कार्य के अतिरिक्त प्रतिदिन 4 घंटे की पढ़ाई की। मेरा मानना यह है कि हम कितना घंटा पढ़ते हैं यह महत्वपूर्ण नहीं है अपितु कैसे और क्या पढ़ते हैं?यह महत्वपूर्ण है।
इस अवसर पर विद्यालय के प्राचार्य अजय कुमार चौबे ने इस सफलता का श्रेय विद्यालय के परिश्रमी बच्चों, अनुभवी शिक्षकों एवं सहयोगी अभिभावकों को देते हुए कहा की निश्चित तौर पर सम्पूर्ण विद्यालय परिवार स्तरीय शिक्षा देने के लिए प्रतिबद्ध है। हमारा यह प्रयास निरंतर जारी रहेगा और मेरी यह कामना है कि हमारे बच्चे भविष्य में राज्य एवं राष्ट्रीय स्तर पर उत्कृष्ट प्रदर्शन कर अपने विद्यालय, क्षेत्र, समाज, परिवार एवं शुभचिंतकों का मान बढ़ाएं।
यह जानकारी विद्यालय के मीडिया प्रभारी शम्भू कुमार तिवारी ने दी।