उप विकास आयुक्त ने डायन बिसाही उन्मूलन जागरूकता रथ को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया
अंधविश्वास के कारण उत्पन्न इन कुरीतियों से महिलाओं को प्रताड़ित करना अपराध है- उप विकास आयुक्त
गढ़वा : महिला, बाल विकास तथा सामाजिक सुरक्षा विभाग गढवा द्वारा डायन प्रथा प्रतिषेध अधिनियम 2001 के तहत डायन कुप्रथा मुक्त झारखंड अभियान के प्रचार-प्रसार के उद्देश्य से आज उप विकास आयुक्त सत्येंद्र नारायण उपाध्याय व जिला समाज कल्याण पदाधिकारी पूर्णिमा कुमारी ने समाहरणालय परिसर से डायन बिसाही उन्मूलन जागरूकता रथ को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया।
इस अवसर पर उप विकास आयुक्त ने डायन प्रथा को समाज के लिए अभिशाप बताते हुए कहा कि डायन बिसाही एक ऐसी कुप्रथा है जिसपर अंकुश लगाने की आवश्यकता है।
इसके लिए बड़े पैमाने पर सामाजिक जागरूकता बेहद जरूरी है। डायन प्रथा जैसी कुरीतियां ना केवल महिलाओं को, बल्कि समाज को भी नकारात्मक विचारधारा से ग्रसित करती हैं। अंधविश्वास के कारण उत्पन्न इन कुरीतियों से महिलाओं को प्रताड़ित करना अपराध है। डायन बिसाही जैसी कुप्रथा के कारण आज समाज के गरीब तथा असहाय महिलाएं सबसे ज्यादा प्रभावित हो रही हैं। ऐसे में आज रवाना किए गए डायन बिसाही उन्मूलन जागरूकता रथ के माध्यम से आमजनों को डायन एवं उससे संबंधित कुप्रथाओं के प्रति न केवल जागरूक किया जायेगा, बल्कि उससे जुड़े लोगों पर होने वाले कानूनी प्रावधानों पर भी प्रकाश डाला जायेगा। साथ ही उन्होंने आमजनों से डायन बिसाही जैसी कुप्रथा पर विश्वास नहीं करने तथा अपने आसपास इस प्रकार की किसी भी घटना की जानकारी होने पर अपने निकटतम पुलिस थाने से संपर्क करने की अपील की।
ज्ञातव्य है कि आज रवाना किए गए डायन बिसाही उन्मूलन जागरूकता रथ के माध्यम से जिले के विभिन्न प्रखंडों एवं सुदूरवर्ती गाँवों में जाकर डायन कुप्रथा के कुप्रभावों के विषय में आमजनों को जागरूक किया जाएगा। बताते चलें कि डायन प्रथा प्रतिषेध अधिनियम 2001 के तहत किसी महिला को ‘डायन’ के रूप में पहचान करने वाले तथा पहचान के प्रति अपने किसी भी कार्य, शब्द या रीति से कार्रवाई करने वाले को अधिकतम तीन महीने तक कारावास की सजा या 1000 रू जुर्माना अथवा दोनों सजा से दंडित करने का प्रावधान है। साथ ही किसी महिला की ‘डायन’ के रूप में पहचान कर उसे शारीरिक या मानसिक यातना देने, जानबूझ कर या अन्यथा प्रताड़ित करने पर 6 माह की अवधि के लिए कारावास की सजा अथवा 2000 रू तक के जुर्माने या दोनों सजा से दंडित करने का प्रावधान है।
वहीं किसी महिला को ‘डायन’ के रूप में पहचान करने के लिए अन्य व्यक्ति अथवा समाज के लोगों को उकसाने, षडयंत्र रचने तथा सहयोग करने की स्थिति में तीन महीने तक कारावास अथवा 1000 रू तक के जुर्माने या दोनों सजा से दंडित करने का प्रावधान है। इसके अलावा ‘डायन’ के रूप में पहचान की गई महिला को शारीरिक या मानसिक हानि पहुँचाकर अथवा प्रताड़ित कर ‘झाड़-फूँक’ या ‘टोटका’ द्वारा उपचार करने वाले को एक साल तक कारावास की सजा अथवा 2000 रू तक जुर्माना अथवा दोनों दंडों से दंडित करने का प्रावधान है।
डायन बिसाही उन्मूलन जागरूकता रथ की रवानगी के अवसर पर उप विकास आयुक्त सत्येंद्र नारायण उपाध्याय, जिला समाज कल्याण पदाधिकारी पूर्णिमा कुमारी, समाज कल्याण विभाग के कर्मी समेत अन्य उपस्थित थे।