गढ़वा : एक वर्ष पूर्व गढ़वा विधानसभा क्षेत्र में व्याप्त भ्रष्टाचार, दिवास्वप्न हो चुके विकास से निजात पाने की लालसा पाले मिथिलेश ठाकुर को यहां के मतदाताओं ने विधानसभा की कमान सौंपी थी। मतदाताओं की महत्वाकांक्षा श्री ठाकुर को झारखंड की हेमंत सरकार में पेयजल स्वच्छता मंत्री की बागडोर संभालने के बाद और कुलांचे मारने लगी।
तात्पर्य यह कि गढ़वा विधानसभा की जनता की अपेक्षा विधायक से मंत्री बने मिथिलेश ठाकुर से काफी बढ़ गई है।
ऐसी परिस्थिति में श्री ठाकुर ने अपने एक वर्ष के कार्यकाल में जनता की अपेक्षा पर खरा उतरने का प्रयास इस कोरोना संकट में भी, खुद को जोखिम में डालकर सार्थक पहल किया है, इससे इनकार नहीं किया जा सकता।
इसी का नतीजा है कि गढ़वा जिले मे़ लंबित पड़े विकास में गति देने के श्री ठाकुर के ईमानदार प्रयास से
भागोडीह ग्रीड चालू हो पाया तथा विद्युत आपूर्ति व्यवस्था में सुधार का जनता के प्रति किए गए अपने वादे को पूरा करने का कमिटमेंट श्री ठाकुर ने दिखलाया है। क्योंकि बिजली सेवा में सुधार का काफी हद तक का श्रेय मंत्री मिथिलेश ठाकुर को देना अनुचित नहीं होगा।
इसके अलावे गढ़वा जिले के विकास में कई ऐसे कार्य हुए हैं, जिसे यहां के लोगों के हित में उठाया गया मंत्री मिथिलेश ठाकुर का एक वर्ष का कार्यकाल का श्रेय देना अन्यथा नहीं होगा। मसलन बर्षों से लंबित पड़े
गढ़वा शहरी पेयजल आपूर्ति योजना में काम शुरू होना, बाईपास सड़क के लिए निरंतर अपने स्तर से भी प्रयास करना तथा रंका एवं चिनियां प्रखंड में एक दिन के अंदर मनरेगा से
333 सड़कों का शिलान्यास किया जाना एक बड़ी उपलब्धि है।
मगर गढ़वा जैसे विधानसभा क्षेत्र में जहां
रोजगार के लिए पलायन सिंचाई के अभाव में वर्षा पर आधारित खेती एवं शिक्षा के क्षेत्र में पिछड़ापन तथा स्वास्थ्य सेवा के अभाव में आए दिन लोगों की असामयिक मौत को रोकने के लिए
स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में अभी भी विधायक के रूप में मंत्री मिथिलेश ठाकुर से बेहतर काम करने की विधानसभा की जनता को काफी अपेक्षा है, क्योंकि
शिक्षा के क्षेत्र में हालत यह है कि प्राथमिक से लेकर उच्च शिक्षा तक भवन तो है, मगर गुणवत्ता को पूर्ण पढ़ाई की व्यवस्था नहीं है। हालत तो इतना खराब है कि प्राथमिक शिक्षा से जुड़े शिक्षक स्कूलों में तक नियमित नहीं जाते हैं, उच्च शिक्षा में विशेषकर तकनीकी शिक्षा में और ही बदतर हालत है।
जिले में
एकमात्र अंगीभूत कालेज है। पीजी की पढ़ाई के लिए छात्रों को बाहर जाना पड़ रहा है। जिले का एकमात्र
पॉलिटेक्निक कॉलेज निजी हाथों से संचालित हो रहा है। व्यवसायिक शिक्षा के क्षेत्र में संस्थान अनुपलब्ध हैं।
बीएड कॉलेज के नाम पर चल रहे निजी संस्थान आम लोगों से दूर है, जिस पर ध्यान देने की जरूरत है।
विकास की दृष्टि से मिथिलेश ठाकुर के एक वर्ष की कार्य अवधि को पर्याप्त नहीं कहा जा सकता है। अभी आने वाले 4 वर्षों के कार्यों को देखना दिलचस्प होगा। यदि श्री ठाकुर ने इमानदार कर्म-शक्ति के साथ चुनौतियों के विभिन्न भंवर को पार करने में सफलता प्राप्त कर ली, तो गढ़वा में विकास की बहू प्रतीक्षित सपने और कार्य संस्कृति को नया स्वरूप आने वाले वर्षों में देखने को मिलेगा।
तभी यह विधानसभा विकास के पैमाने पर ऐसा आकार ग्रहण कर पाएगा, जिसकी परिकल्पना यहां के लोगों ने एक विधायक से की है।
मगर इसके लिए अभी काफी कुछ करना बाकी है। विशेषकर
भ्रष्टाचार के मामले में नकेल कसने में श्री ठाकुर की उपलब्धि अभी शून्य ही है। क्योंकि विकास योजना में भ्रष्टाचार इस कदर जड़ जमाए हुए है कि
बगैर दस्तूर दिए गढ़वा विधानसभा क्षेत्र के किसी भी
सरकारी दफ्तर में काम अपवाद स्वरूप भी नहीं हो पा रहा है, और तो और
आंगनबाड़ी केंद्रों से जुड़े अधिकारी भी
फिक्स कमीशन वसूल रहे हैं।
हालत ऐसी है कि
मनरेगा की योजना हो अथवा
वाटर टावर या
प्रधानमंत्री आवास किसी भी योजना में
ऑपरेटर से लेकर
बीडीओ तक बगैर कमीशन वसूली कुछ भी करने को तैयार नहीं हैं।
हालत इतनी बदतर है कि पंचायत से जुड़े प्रतिनिधि अधिकारियों तक कमीशन पहुंचाने को मजबूर हैं, ऐसे में विकास के सारे प्रयास बेकार साबित होंगे। लिहाजा भ्रष्टाचार को मिटाने के दिशा में आने वाले 4 वर्षों के कार्यकाल में अपने किए वादे के अनुसार मंत्री श्री ठाकुर भ्रष्टाचार पर नकेल कसकर गढ़वा विधानसभा क्षेत्र में अपनी धमक दिखाएंगे जनता को उम्मीद है।