गढ़वा : झारखंड चैंबर ऑफ कॉमर्स फेडरेशन की एक विशेष बैठक रांची स्थित चैंबर भवन में आयोजित की गई, जिसमें गढ़वा चैंबर ऑफ कॉमर्स के पुनर्गठन की दिशा में ऐतिहासिक कदम उठाया गया। इस महत्वपूर्ण बैठक में फेडरेशन अध्यक्ष परेश घटानी, महासचिव आदित्य मल्होत्रा, सह-सचिव विकास विजयवर्गीय, कोषाध्यक्ष सहित कार्यकारिणी सदस्य एवं गढ़वा से आए प्रतिनिधिमंडल ने भाग लिया।
बैठक की खास बात यह रही कि इसमें गढ़वा चैंबर से संबंधित बीते 12 वर्षों का अभिलेखीय इतिहास प्रस्तुत किया गया। फेडरेशन द्वारा साझा किए गए दस्तावेजों के मुताबिक, गढ़वा चैंबर का विधिवत पंजीकरण वर्ष 2009-10 एवं 2010-11 में कराया गया था।
हालांकि वर्ष 2012 से 2025 तक कोई भी अध्यक्ष फेडरेशन के रिकॉर्ड में दर्ज नहीं पाया गया। संविधान के अनुसार दो वर्षों तक रजिस्ट्रेशन नहीं होने पर सदस्यता स्वतः समाप्त मानी जाती है। इससे यह स्पष्ट हुआ कि पिछले 13 वर्षों से गढ़वा चैंबर निष्क्रिय अवस्था में था, जो कि पूरे व्यवसायिक समुदाय के लिए चिंता का विषय है।
बैठक में गढ़वा चैंबर भवन की वर्तमान उपेक्षित स्थिति पर भी चर्चा हुई। प्रतिनिधियों ने बताया कि जो भवन कभी व्यवसायियों की आवाज़ का प्रतीक था, आज जर्जर अवस्था में है। चुनाव प्रक्रिया और समयबद्ध रिन्युअल न होने से संगठन निष्क्रिय होता चला गया।
फेडरेशन ने यह स्पष्ट किया कि गढ़वा चैंबर को पुनर्जीवित करने का एकमात्र रास्ता लोकतांत्रिक प्रक्रिया से गुजरता है। इसके लिए एक नई कार्यकारिणी का गठन और विधिवत चुनाव आवश्यक हैं।
प्रतिनिधिमंडल के प्रमुख सदस्य ने प्रेस के माध्यम से स्पष्ट कहा, "मुझे चैंबर अध्यक्ष नहीं बनना है, मुझे केवल लोकतांत्रिक चुनाव चाहिए।" उन्होंने यह भी कहा कि अब समय आ गया है कि गढ़वा के व्यवसायी एकजुट होकर इस संगठन को फिर से उसकी गरिमा लौटाएं।
अंत में गढ़वा के व्यवसायियों से अपील की गई कि वे अब चुप न रहें और इस बदलाव की मुहिम में सक्रिय भागीदारी निभाएं, ताकि चैंबर को फिर से उसकी प्रतिष्ठा दिलाई जा सके।
गढ़वा चैंबर की वापसी की यह पहल सिर्फ एक संगठन के पुनर्गठन की नहीं, बल्कि गढ़वा के व्यवसायिक स्वाभिमान की पुनर्स्थापना की लड़ाई है।