मेराल(गढ़वा ): गढ़वा की अदालत का ऐतिहासिक फैसला, प्रत्येक को ₹10,000 का जुर्माना भी
गढ़वा जिले के मेराल थाना क्षेत्र में डायन बताकर की गई हत्या के मामले में अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश चतुर्थ श्री आशुतोष कुमार पांडेय की अदालत ने ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए एक महिला सहित तीन दोषियों को आजीवन सश्रम कारावास और प्रत्येक पर ₹10,000 का आर्थिक जुर्माना लगाया है।
सजा पाने वालों में रजबंधा गांव के निवासी दिनेश पासवान, नीरज पासवान एवं रीना देवी शामिल हैं।
इस संबंध में मेराल थाना कांड संख्या-254/2020, दिनांक 17.09.2020 को पीड़िता आशा कुमारी के आवेदन पर प्राथमिकी दर्ज की गई थी।
पुलिस ने मामले की गंभीरता को देखते हुए भा.द.वि. की धारा 302/34 तथा 3/4 डायन भूत प्रतिषेध अधिनियम के तहत आरोप पत्र दाखिल किया। न्यायालय ने अभियोजन पक्ष की दलीलों और प्रस्तुत 11 साक्षियों के बयान, साथ ही उपलब्ध दस्तावेजों के आधार पर तीनों आरोपियों को दोषी ठहराया।
इस केस की पैरवी अभियोजन पक्ष की ओर से लोक अभियोजक उमेश दीक्षित ने की, जिन्होंने ठोस तर्कों और प्रमाणों के आधार पर आरोप सिद्ध करने में सफलता प्राप्त की। वहीं, बचाव पक्ष की ओर से अधिवक्ता जयप्रकाश नारायण ने बहस की।
दोनों पक्षों की बहस और प्रमाणों की समीक्षा के बाद न्यायालय ने तीनों दोषियों को आजीवन सश्रम कारावास एवं ₹10,000 जुर्माने की सजा सुनाई। सजा की प्रति सभी दोषियों को निशुल्क प्रदान की गई और उन्हें तत्काल न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया।
गढ़वा पुलिस द्वारा समय पर की गई कार्रवाई और अदालत द्वारा सुनाई गई यह सजा डायन प्रथा जैसी कुप्रथाओं के खिलाफ एक सख्त संदेश के रूप में देखी जा रही है।