गढ़वा : भाषाई उपेक्षा से छात्रों में नाराज़गी, नियुक्तियों में स्थानीय भाषाओं को प्राथमिकता देने की मांग तेज
राज्य सरकार द्वारा जारी शिक्षक पात्रता परीक्षा (J-TET) की क्षेत्रीय भाषाओं की सूची को लेकर विरोध लगातार बढ़ता जा रहा है। इसी क्रम में भवनाथपुर विधायक अनंत प्रताप देव ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर यह मांग की है कि गढ़वा और पलामू जैसे जिलों की प्रमुख भाषाओं—हिंदी, भोजपुरी और मगही—को भी क्षेत्रीय भाषा की सूची में शामिल किया जाए।
मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में विधायक ने स्पष्ट किया कि फिलहाल पलामू प्रमंडल के गढ़वा, पलामू और लातेहार जिलों के लिए कुड़ुख और नागपुरी भाषाओं को सूचीबद्ध किया गया है।
हिंदी, भोजपुरी और मगही का प्रभाव क्षेत्र में व्यापक
विधायक ने पत्र में बताया कि क्षेत्र की बड़ी आबादी संवाद, लेखन और पठन-पाठन के लिए हिंदी, भोजपुरी और मगही भाषाओं का ही प्रयोग करती है। विद्यालयों में शिक्षण का प्रमुख माध्यम भी यही भाषाएँ हैं। ऐसे में इन भाषाओं की अनदेखी स्थानीय युवाओं के लिए न केवल अन्यायपूर्ण है, बल्कि यह उनकी भाषाई और सांस्कृतिक पहचान को भी हानि पहुँचाती है।
छात्रों में असंतोष, आंदोलन की आशंका
विधायक ने मुख्यमंत्री को अवगत कराया कि इस निर्णय को लेकर छात्रों और युवाओं में व्यापक असंतोष है।
राजनीतिक गलियारों तक पहुँचा मुद्दा
ज्ञात हो कि पलामू प्रमंडल में क्षेत्रीय भाषाओं को मान्यता दिलाने के लिए समय-समय पर धरना-प्रदर्शन, ज्ञापन और जन संवाद आयोजित किए जाते रहे हैं। क्षेत्रीय संगठनों का भी यही मत रहा है कि स्थानीय भाषाओं को राज्य की नियुक्ति प्रक्रिया में समुचित स्थान मिलना चाहिए। अब इस मुद्दे ने राजनीतिक रंग ले लिया है।
विधायक की प्रमुख मांग
विधायक अनंत प्रताप देव ने मुख्यमंत्री से आग्रह किया है कि राज्य सरकार जल्द ही J-TET सहित अन्य नियुक्ति परीक्षाओं में क्षेत्रीय भाषाओं की सूची में संशोधन करे।