गढ़वा : प्राचार्य, शिक्षक व छात्रों ने किया श्रद्धांजलि अर्पित, ‘उलगुलान’ आंदोलन के योगदान को किया याद
राजकीयकृत प्लस टू उच्च विद्यालय भवनाथपुर में भगवान बिरसा मुंडा की 125वीं पुण्यतिथि श्रद्धापूर्वक मनाई गई। कार्यक्रम की शुरुआत विद्यालय के प्राचार्य दिलीप कुमार उपाध्याय एवं समस्त शिक्षक वृंद द्वारा भगवान बिरसा मुंडा की तस्वीर पर पुष्प अर्पित कर एवं पूजा-अर्चना करके की गई।
कार्यक्रम का संचालन वरीय शिक्षक डॉ. आनन्द कुमार ने किया। अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि भगवान बिरसा मुंडा के एक हाथ में लकड़ी और दूसरे में तीर-धनुष यह दर्शाता है कि वे अपनी जमीन और जंगल की रक्षा के लिए जान की बाजी लगाने को भी तैयार रहते थे।
शिक्षक रणजीत बरनवाल ने भगवान बिरसा मुंडा के जीवन पर विस्तृत प्रकाश डालते हुए बताया कि उनका जन्म 15 नवंबर 1875 को खूंटी जिले के उलिहातु गांव में हुआ था। वे बचपन से ही अत्यंत प्रतिभाशाली थे। उन्होंने ही अंग्रेज सरकार को झारखंड क्षेत्र में छोटानागपुर काश्तकारी अधिनियम लागू करने को मजबूर किया। उन्होंने कहा, “जब तक सूरज चाँद रहेगा, बिरसा तेरा नाम रहेगा।”
शिक्षिका कुसुम कुमारी कुजूर ने अपने संबोधन में कहा कि बिरसा मुंडा ने शिक्षा के बल पर समाज में एक नया मार्ग दिखाया, इसलिए छात्रों को शिक्षा का महत्व समझना चाहिए।
व्याख्याता सुशील कुमार ने बिरसा मुंडा को आदिवासी समाज के महान क्रांतिकारी नेता बताया।
आज भी भगवान बिरसा मुंडा को आदिवासी समाज में धरती आबा के रूप में पूजा जाता है। भारत सरकार द्वारा उनकी जयंती को "जनजातीय गौरव दिवस" के रूप में राष्ट्रीय स्तर पर मनाने का निर्णय उनके योगदान को सम्मान देने का प्रतीक है।
कार्यक्रम के अंत में प्राचार्य दिलीप कुमार उपाध्याय ने धन्यवाद ज्ञापन देते हुए कहा कि बिरसा मुंडा ने सामाजिक बुराइयों और ब्रिटिश अत्याचारों के खिलाफ संघर्ष कर अमर क्रांतिकारी की भूमिका निभाई।
इस अवसर पर विद्यालय के समस्त शिक्षक वृंद उपस्थित थे, जिनमें प्रमुख रूप से प्रशान्त कुमार तिवारी, अनय कुमार गुप्ता, उदित नारायण चौबे, रोहित कुमार सिंह, दीपक कुमार तिवारी, राकेश कुमार वर्मा, अनामिका हेरेंज, सिद्धार्थ कुमार, अरविन्द कुमार, शिवानी कुमारी आदि शामिल थे।