गढ़वा : ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि तद्नुसार पाँच जून 2025 को पड़ने वाले गंगा दशहरा , वेदमाता गायत्री के प्राकट्य दिवस तथा विश्व पर्यावरण दिवस के सामूहिक सुअवसर पर सरस्वती नदी के किनारे स्थित नवादा ग्राम के छठ घट पर शिवलिंग की स्थपना करवायी नवादा ग्राम निवासी शिवपूजन प्रसाद ने।
शिवलिंग स्थापना की पूर्व संध्या पर रामचरित मानस का अखंड पाठ का आयोजन भी शिवपूजन प्रसाद के सहयोग से करवाया गया।
शिवलिंग स्थापना के अगले दिन अर्थात् निर्जला एकादशी के शुभ अवसर पर शिवपूजन प्रसाद ने अपने पिता की पुण्यतिथि के अवसर पर जरूरतमंदों के बीच वस्त्रों का वितरण भी किया।
प्रारंभ से ही ईश्वर में आगाध्याय आस्था रखने वाले शिवपूजन प्रसाद धार्मिक कृत्य और भारतीय संस्कृति से जुड़े रहने का कार्य किया है। शिवपूजन प्रसाद का मानना है कि ईश्वर का दिया ही सब कुछ हम प्राप्त करते हैं तो हमारा भी कर्तव्य बनता है कि ईश्वर के प्रति हम अपनी कृतज्ञता अपने सत्कर्मों के माध्यम से ज्ञापित करें। मनीषियों का कहना है कि "तेरा तुझको अर्पण क्या लागे मेरा..." । इसी भावना से प्रेरित होकर मैंने शिवलिंग की स्थापना करवायी है। अर्थात् मैंने कुछ नहीं किया है बल्कि मेरा सौभाग्य है कि ईश्वर ने इस पुनीत कार्य का मुझे माध्यम बनाया।मेरे इस कार्य में मेरे अनुज ललन प्रसाद सहित नवादा ग्राम के सभी धर्मप्रेमी माताओं ,बहनों एवं बंधुओं बांधवों का भरपूर सहयोग मिला।
शिवपूजन प्रसाद ने कहा कि प्राचीन काल में जो भी राजा-महाराजा धार्मिक प्रवृत्ति के होते थे वे ईश्वरीय प्रेरणा से ही जन कल्याण के लिए कहीं बड़े मंदिर ,कहीं ठाकुरबाड़ी, कहीं धर्मशाला ,कहीं तालाब कहीं कुँआ आदि का निर्माण करवाते थे। इससे प्रेरणा लेकर हम सब को भी अपने सामर्थ्य के अनुसार मानवता के कल्याण हेतु कुछ कार्य अवश्य ही करने चाहिए।
झारखंड सरकार में मार्केटिंग ऑफिसर के दायित्व का निर्वहन कर चुके शिवपूजन प्रसाद सेवानिवृति के बाद अपनी पत्नी धर्मशीला देवी के साथ कोलकाता में रह रहे हैं।
ब्रह्मदेव साह मेमोरियल ट्रस्ट के ट्रस्टी के नाते भी शिवपूजन प्रसाद जनकल्याण के कार्य निरंतर करते रहते हैं।