गढ़वा : सोमवार को गढ़वा शहर समेत देशभर में बट सावित्री व्रत श्रद्धा और आस्था के साथ मनाया गया। इस पावन अवसर पर सुहागिन महिलाओं ने अपने पति की दीर्घायु और सुखमय वैवाहिक जीवन की कामना करते हुए निर्जला व्रत रखा और वट (पीपल) वृक्ष की विधिवत पूजा-अर्चना की।
सुबह से ही महिलाएं पारंपरिक वेशभूषा में सजी-धजी नजर आईं और पूजा थाल लेकर वट वृक्ष के पास एकत्रित हुईं। व्रत के दौरान महिलाओं ने वट वृक्ष की 108 बार परिक्रमा की और सावित्री-सत्यवान की कथा श्रवण कर अपने पतिव्रता धर्म को सशक्त किया।
मान्यता है कि सावित्री ने अपने पति सत्यवान को यमराज से वापस लाकर अपने साहस, समर्पण और पतिव्रता धर्म की मिसाल पेश की थी।
गढ़वा के विभिन्न मंदिरों और सार्वजनिक स्थलों पर सामूहिक पूजा की विशेष व्यवस्था की गई थी, जहां बड़ी संख्या में महिलाओं ने भाग लिया। व्रत रखने वाली महिलाओं ने बताया कि यह दिन उनके लिए भावनात्मक और आध्यात्मिक जुड़ाव का प्रतीक होता है, जिसे वे हर वर्ष पूरे मनोयोग और आस्था के साथ मनाती हैं।
बट सावित्री व्रत भारतीय संस्कृति में नारी शक्ति, पतिव्रता धर्म और पारिवारिक मूल्यों का प्रतीक माना जाता है। यह पर्व आज भी समाज में परंपराओं और सांस्कृतिक मूल्यों को जीवंत बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।