गढ़वा : बड़ी-बड़ी गाड़ियों में आकर मीठे बोलने वाले लोग जब हालचाल पूछने लगें, सालों से गड्ढे पडे सड़क में मिट्टी पड़ने लगे तब समझ लेना चुनाव आ गया है।
स्व. राममनोहर लोहिया ने यह लाइन दशकों पहले भले ही व्यंग्य में कही हो पर यही यथार्थ है।
1985 से 2010 तक 28 साल के कार्यकाल में गढ़वा सीट से अविजित रहे रंकाराज परिवार के स्व. गोपीनाथ सिंह और गिरिनाथ सिंह ने इस क्षेत्र को विरोधियों के लिए दु: स्वपन बना दिया था। 1985 से 90 और 2001 से 2004 तक लगभग 9 साल ही यह क्षेत्र तात्कालिक सत्तारूढ दल से कम लाभान्वित रहा, शेष पूरा कार्यकाल सत्ता के नजदीक रहने का सुख मिला। दर्जनों हाईस्कूल, ग्रामीण सड़कें, विद्युतीकरण आदि भी हुए जिसे किसी रूप में झुठलाया नहीं जा सकता।
1991 में गढ़वा जिला बना। जिसका श्रेय लेने वालों में तात्कालिक मुख्यालय विधायक और लालू सरकार को समर्थन दे रहे स्व. गोपीनाथ सिंह, तात्कालिक मंत्री गिरिवर पाण्डेय, फायरब्रांड विधायक चंद्रशेखर दूबे और विधायक और उस समय लालू यादव के सलाहकार बने इंदर सिंह नामधारी हों, सबों ने अपनी उपलब्धि बताया।
रमकंडा, चिनियां ब्लाॅक को लालू प्रसाद, वहीं डंडा ब्लाॅक और रंका अनुमंडल को मधु कोड़ा सरकार से मंजूर कराने का श्रेय निर्विवाद रुप से विधायक गिरिनाथ सिंह को मिलना चाहिए।
गिरिनाथ सिंह और उनके समर्थक दिसंबर 2009 के चुनाव में अचानक मात खाने के बाद महीनों तक विश्वास ही नहीं कर पाते थे कि वे अब विधायक नहीं रहे।
2014 में दुबारा असफल रहने के बावजूद गिरिनाथ सिंह ने कभी जनता से दूरी नहीं बनाई।
अपने समर्थकों से मिलना और हर संभव दौरा करना कभी रुका नहीं, पर 2019 के लोकसभा चुनाव के ठीक पहले उनका भाजपा में शामिल होना समर्थकों के बड़े संख्या को इनसे बिदका दिया तो बाकी लोगों ने मास्टर स्ट्रोक माना। 2019 के विधानसभा चुनाव में मैदान से दूर नेपथ्य में रहकर खेल देखना - करना इनको क्षणिक सुख दिया, लेकिन उस एक रणनीतिक कदम का असर आज दिख रहा है।
अपनी परिवर्तन यात्रा के तीसरे चरण में बुधवार को जन दर्शन और परिवर्तन यात्रा कार्यक्रम के लिए अपने गृह नगर रंका पहुंचे गिरिनाथ सिंह के साथ कोई दर्जन भर युवा ही सामने रहे। यहां तक कि लंबे-चौड़े परिवार में से दो या तीन सदस्य ही मौजूद रहे। कट्टर समर्थकों ने कार्यक्रम से दूरी बनाये रखा।
कभी रंका क्षेत्र में इनके स्वागत के लिए कार्यकर्ताओं में होड़ मचती थी कि उस समय के
उपमुख्यमंत्री स्टीफेन मरांडी ने कहा था कि लागत हो कि तोहर गांव के सबे छउआ बुतरु जनी घर छोड़कर आयेल हउ ददा, ऐतना आदमी त दुमका में सरहुल दिन जुटतउ
2019 के विधान सभा चुनाव से दूर रहना और इनके समर्थक और कार्यकर्ताओं को मंत्री मिथिलेश ठाकुर द्वारा भरपूर तरजीह, मान सम्मान, अपनी पार्टी में पद और भी कई तरह की मदद करना काफी असरदार रहा है। मिथिलेश ठाकुर की ओर से गढ़वा से गये मरीजों के लिए रिम्स में एक खास प्रतिनिधि तैनात है जो काफी सहायक सिद्ध होता है। साथ ही बच्चों के एडमिशन, या और भी पैरवी में देर नहीं होती। सालों से सूखा झेल रहे कार्यकर्ताओं के बड़े धड़े को वापस समेटना कितना आसान या मुश्किल है, यह समय के आंचल में है।