पलामू : पलामू प्रमंडल के चर्चित हस्ती मनातू मौआर नहीं रहे मनातू मौआर जगदीश्वरजित सिंह का 96 वर्ष की आयु में आज तड़के उनके पैतृक आवास मनातू में निधन हो गया।
वे अपने पीछे भरा पूरा परिवार छोड़ गए है।उनके 7 लड़का (जिनमे एक कि मृत्यु)एवम 6 लड़की एवम नाती पोतों का भरा पूरा परिवार छोड़ गये है।वे जीवन का अधिकांश हिस्सा मनातू में ही बिताया और जीवन का अंतिम सांस भी मनातू में ही लिया।
80 के दशक में मनातू मौआर तब चर्चा में आए जब पलामू के तत्कालीन एसपी कुणाल उनके घर पहुंचे थे। बताया जाता है कि कुणाल ने बियाबान जंगल में मनातू मौआर का साम्राज्य देखा तो वे सन्न रह गए थे। एक अनबुझ पहेली की तरह मनातू मौआर की जीवन शैली पलामू के लोगों के जुबान पर हुआ करती थी।
कहा तो यहां तक जाता था कि उन्होंने शेर पाल रखा था। पलामू तो क्या देश के दूसरे इलाके में भी इन्हें पलामू के मौआर के नाम से जाना जाता था।
उनके निधन से पलामू में एक युग का अंत हो गया। वे बहुत ही स्वाभिमानी थे और अपने शर्तो पर जीवन जिया। मौत भी उनकी उसी तरह हुयी।वे जीवन के अंत तक कभी किसी के आगे नही झुके। वे अपने क्षेत्र में, समाज में काफी लोकप्रिय थे। उनकी अपनी सामाजिक प्रतिष्ठा थी। वे सैकड़ो लोगो को अपनी जमीन में बसाया। यही कारण रहा कि मनातू जैसे घोर नक्सलग्रस्त इलाका में भी उन पर किसी तरह का आंच नहीं आया। वे चरित्र और संस्कार के धनी थे। उनका ससुराल कोडरमा जिला के मसनोदिह के एक प्रतिष्ठित परिवार में था। उन लोगों का माइका(अबरख)का बड़ा कारोबार था।
उनका परिवार आज भी खेती गृहस्थी से जुड़ा है। मौआर साहब के बारे में लोग भले ही अपने अपने दृष्टिकोण से जानने का प्रयास किया है लेकिन वे एक सरल स्वभाव के व्यक्ति थे। गरीबों का सेवा करना ही उनका स्वभाव था।
मनातू मौआर आज भले ही हम सबो के बीच नहीं रहे, लेकिन उनका कृति हमेशा हमसबों के बीच रहेगा। वे अपने जीवन मे किवदंती की तरह रहे।उनके शव यात्रा में सैकड़ो लोग शामिल रहे।