गढ़वा :
मानव को सत्य और धर्म का मार्ग नही छोड़ना चाहिए। जो सत्य की राह पर धर्म की रक्षा करता है, धर्म भी उसकी सदैव रक्षा करता है। उक्त बातें कथा वाचिका सुश्री गंुजन किशोरी ने जिला मुख्यालय गढ़वा के सहिजना स्थित बाबा सोमनाथ मन्दिर परिसर में आयोजित नौ दिवसीए श्रीमद् भागवत कथा के प्रवचन में षष्ठम पूजन के अवसर पर कही।
उन्होने कहा कि धर्म तो हमेशा अच्छी राह दिखता है और यदि कर्म अच्छे करेंगे तो धर्म कभी साथ नही छोड़ता। गीता में भी भगवान श्रीकृष्ण ने कहा है कि कर्म करो परिणाम के फल की इच्छा मत करो। अच्छे कर्मो का फल सदैव मीठा ही होता है। समयानुसार उसका फल अवश्य मिलेगा धैर्य रखें। कभी बुरा कर्म ना कीजिए। उसका दुष्परिणाम मिलेगा ही मिलेगा।
उन्होने राजा हरिश्चन्द्र प्रसंग की व्याख्या करते हुए कहा कि हरिश्चन्द्र के जीवन में कितने कष्ट आए। किन्तु उन्होने सत्य और धर्म का साथ नही छोड़ा और धर्म मार्ग से विचलित नही हुए। यही कारण है कि सत्यवादी राजा हरिश्चन्द्र के नाम की इतनी बड़ी उपाधि आज तक किसी ने नही पायी। उन्होने कहा कि भगवान एक है किन्तु उनके रुप अनेक हैं। प्रबल प्रेम के पाले पड़कर प्रभु के नियम बदलते देखा, अपना मान टले टल जाए, पर भक्त का मान न टलते देखा। उन्होने कहा कि एक बार तुलसीदास जब बृजधाम गये तो पुजारी तुलसीदास से कहते है, गोविन्द को तुलसी ने माथा झुका दिया क्या, बोले पुजारी हंस के पाला बदल लिया क्या। भक्ति मंे बल है कितना यह तुलसी बता रहे हैं, भगवान कन्हैया की प्रतिमा के सम्मुख खड़े होकर तुलसीदास कहते हैं कहा कहुं छवि आप की भले बने हो नाथ, तुलसी मस्तक तब नवे, जब धनुष बाण लो हाथ।
तब वृन्दावन के बीच बांके बिहारी जी मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम जी का स्वरुप धारण करते हैं। तब तुलसीदास जी बांके बिहारी से कहते हैं मेरा राम ही यहां पर मुरली बजा रहा है। भगवान अपने भक्त के प्रेम में पड़कर अपना नियम बदल दिए और तुलसीदास जी को राम स्वरुप में वृन्दावन में दर्शन दिए। मौके पर बाबा सोमनाथ मन्दिर समिति नारी समिति की संयुक्ता सिंह, नीलम सिंह, उर्मिला सिंह, सुमन सिंह, किरण सिंह, स्नेहा कुमारी, प्रतिमा देवी, रीना देवी, नीलम तिवारी, उर्मिला सिंह, चम्पा देवी आदि ने कथा वाचिका सुश्री गुंजन का माल्यापर्ण कर उनका स्वागत किया। प्रवचन में बड़ी संख्या में महिला व पुरुष श्रद्धालु उपिस्थत थे।