सगमा : सगमा,गढ़वा
दो प्रदेशो के सिमा पर बसे सगमा प्रखण्ड के मकरी गांव स्थित काली सक्ति पीठ में नवरात्र सुरु होते ही दूर दराज से आने वाले श्रद्धालुओं का जमावड़ा सुरु हो गया है ।
बताते चलें कि उक्त काली सक्ति पीठ सर्वेस्वरी आश्रम परिसर के एक कोने पर विशाल बरगद पेड़ के नीचे घने जंगल के बीच रमणीय स्थल है ।
पीठ के चारो तरफ विभिन्न प्रकार के पेड़ पौधे के साथ औसधीय पौधे इसकी सोभा में चार चंद लगते है ।
इस स्थान पर जो भी श्रद्धालु एक बार आते है वे बस यहीं के हो जाते है ।
काली सक्ति पीठ पर साल में दो बार शारदीय व चैत्र नवरात्र के समय झारखण्ड उत्तर प्रदेश बिहार छतीसगढ़ के श्रद्धालुओं का भीड़ उमड़ता है । नवरात्र के अवसर पर शक्ति पीठ के परिसर में सामूहिक रूप से विधिवत पूजा पाठ के बाद कलस स्थापित पर पूरे नौ दिनों तक अनुष्ठान किया जाता है ।
जिस कारण पूरा परिसर दस दिनों तक मेले के रूप में परिवर्ती हो जाता है ।
अनुष्ठान करने वाले श्रद्धालुगण काली मंदिर के समीप बरगद के पेड़ की छांव में दिनभर अनुष्ठान में बैठे रहते है ।
पूछने पर सर्वेस्वरी आश्रम के संरक्षक बिहारी राम ने बताया कि उक्त पीठ की स्थापना भगवान अघोरेस्वर के कर कमलों द्वारा बरगद पेड़ में लगभग 40 वर्ष पूर्व किया गया था ।
इसके बाद धीरे धीरे काली शक्ति पीठ झारखण्ड के साथ उतर प्रदेश बिहार के साथ छतीसगढ़ के श्रद्धालुओं का आस्था का केंद्र के रूप में विख्यात है ।
उक्त सक्ति पीठ पर आने वाले श्रद्धालुओं को आश्रम की ओर से रहने की निःषुल्क सुविधा प्रदान किया जाता है ।
काली शक्ति पीठ पर सच्चे मन के साथ जो भी मांग किया जाता है उनकी मनोकामना पूर्ण होती है यही कारण है कि दिनों दिन श्रद्धालुओ की संख्या में वृद्धि हो रहा है ।