whatshotDeveloped by : O2OSELL.COM
💗 22182869
Loading...


यहाँ बना रहे हो, सजावट यहाँ कर रहे हो, संग्रह यहाँ कर रहे हो, पर खुद मौत की तरफ भागे चले जा रहे हो! जहाँ जाना है, पहले उसको ठीक करो :- श्री जीयर स्वामी

location_on बंशीधर नगर access_time 24-Sep-23, 06:56 PM visibility 608
Share



 यहाँ बना रहे हो, सजावट यहाँ कर रहे हो, संग्रह यहाँ कर रहे हो, पर खुद मौत की तरफ भागे चले जा रहे हो! जहाँ जाना है, पहले उसको ठीक करो :- श्री जीयर स्वामी


दिनेश पांडेय check_circle
संवाददाता



बंशीधर नगर : मकान यहाँ बना रहे हो, सजावट यहाँ कर रहे हो, संग्रह यहाँ कर रहे हो, पर खुद मौत की तरफ भागे चले जा रहे हो! जहाँ जाना है, पहले उसको ठीक करो उक्त बातें श्री जीयर स्वामी जी महाराज ने कही। उन्होंने कहा कि जब तक हमारी दृष्टि में असत् की सत्ता है, तब तक विवेक है। असत् की सत्ता मिटने पर विवेक ही तत्त्वज्ञान में परिणत हो जाता है।अपने में और दूसरों में निर्दोषता का अनुभव होना तत्त्वज्ञान है, जीवन्मुक्ति है।तत्त्वज्ञान होने पर ज्ञानी पुरुष परिस्थिति से रहित नहीं होता, प्रत्युत सुख-दुःखसे रहित होता है।तत्त्वज्ञान शरीर का नाश नहीं करता, प्रत्युत शरीर के सम्बन्ध का अर्थात् अहंता-ममता का नाश करता है।तत्त्वज्ञान अर्थात् अज्ञान का नाश एक ही बार होता है और सदा के लिये होता है।
जैसा है, वैसा अनुभव कर लेने का नाम ही 'ज्ञान' है। जैसा है नहीं, वैसा मान लेने का नाम 'अज्ञान' है। पूर्ण त्याग तभी होता है, जब त्यागका किञ्चित् भी अभिमान न आये। अभिमान तभी आता है, जब अन्त:करणमें त्याज्य वस्तु का महत्त्व अंकित हो । अतः वस्तुके त्याग की अपेक्षा वस्तुके महत्त्व का त्याग श्रेष्ठ है। जब तक किसी से कोई भी प्रयोजन रहता है, तब तक वास्तविक त्याग नहीं होता।जो हमारा स्वरूप नहीं है, उसका त्याग (सम्बन्ध विच्छेद) कर दिया जाय तो जो हमारा स्वरूप है, उसका बोध हो जायगा।साधक में कोई भी आग्रह नहीं रहना चाहिये, न द्वैतका, न अद्वैतका | आग्रह रहने से बोध नहीं होता।जब तक अहम् है, तब तक तत्त्वज्ञान का अभिमान तो हो सकता है, पर वास्तविक तत्त्वज्ञान नहीं हो सकता।
जब तक अपने में राग-द्वेष हैं, तब तक तत्त्वबोध नहीं हुआ है, केवल बातें सीखी हैं। तत्त्वज्ञान होने में कई जन्म नहीं लगते, उत्कट अभिलाषा हो तो मिनटों में हो सकता है; क्योंकि तत्त्व सदा-सर्वदा विद्यमान है।तत्त्वज्ञान अभ्यास से नहीं होता, प्रत्युत अपने विवेक को महत्त्व देने से होता हैं। अभ्यास से एक नयी अवस्था बनती है, तत्त्व नहीं मिलता। जब तक तत्त्वज्ञान नहीं हो जाता, तब तक सब प्राणी कैदी हैं । कैदीका लक्षण है – पाप कर्म करे अपनी मरजी से और दुःख भोगे दूसरेकी मरजी से।'मैं ब्रह्म हूँ' – यह अनुभव नहीं है, प्रत्युत अहंग्रह-उपासना है। इसलिये तत्त्वज्ञान होनेपर 'मैं ब्रह्म हूँ' – यह अनुभव नहीं होता।तत्त्वज्ञान होने पर काम-क्रोधादि विकारों का अत्यन्त अभाव हो जाता है।
कालरूप अग्नि में सब कुछ निरन्तर जल रहा है, फिर किसका भरोसा करें? किसकी इच्छा करें? विचार करो कि अपना कौन है ? अगर अभी मौत आ जाय तो कोई हमारी सहायता कर सकता है क्या ? जन्मदिन आने पर बड़ा आनन्द मनाते हैं कि हम इतने वर्ष के हो गये! वास्तव में इतने वर्ष के हो नहीं गये, प्रत्युत इतने वर्ष मर गये अर्थात् हमारी उम्रमें से इतने वर्ष कम हो गये और मौत नजदीक आ गयी !बालक जन्मता है तो वह बड़ा होगा कि नहीं, पढ़ेगा कि नहीं, उसका विवाह होगा कि नहीं, उसके बाल-बच्चे होंगे कि नहीं, उसके पास धन होगा कि नहीं आदि सब बातों में सन्देह है, पर वह मरेगा कि नहीं - इसमें कोई सन्देह नहीं है!परमात्मतत्त्व का ज्ञान करण-निरपेक्ष है। इसलिये उसका अनुभव अपने-आपसे ही हो सकता है, इन्द्रियाँ - मन-बुद्धि आदि करणों से नहीं।
जब तक नाशवान् वस्तुओं में सत्यता दीखेगी, तब तक बोध नहीं होगा।बोध होने पर अपने में दोष तो रहते नहीं और गुण (विशेषता) दीखते नहीं।मृत्युकाल की सब सामग्री तैयार है । कफन भी तैयार है, नया नहीं बनाना पड़ेगा। उठानेवाले आदमी भी तैयार हैं, नये नहीं जन्मेंगे। जलाने की जगह भी तैयार है, नयी नहीं लेनी पड़ेगी जलाने के लिये लकड़ी भी तैयार है, नये वृक्ष नहीं लगाने पड़ेंगे। केवल श्वास बन्द होने की देर है । श्वास बन्द होते ही यह सब सामग्री जुट जायगी। फिर निश्चिन्त कैसे बैठे हो ?चेता करो! यह संसार सदा रहनेके लिये नहीं है। यहाँ केवल मरनेवाले हीं रहते हैं। फिर पैर फैलाये कैसे बैठे हो? विचार करो, क्या ये दिन सदा ऐसे ही रहेंगे? निश्चित समय पर चलने वाली गाड़ी के लिये भी जब पहले से सावधानी रहती है, फिर जिस मौतरूपी गाड़ी का कोई समय निश्चित नहीं, उसके लिये तो हरदम सावधानी रहनी चाहिये ।
मकान यहाँ बना रहे हो, सजावट यहाँ कर रहे हो, संग्रह यहाँ कर रहे हो, पर खुद मौत की तरफ भागे चले जा रहे हो! जहाँ जाना है, पहले उसको ठीक करो !‘करेंगे'—यह निश्चित नहीं है, पर 'मरेंगे' – यह निश्चित है।




Trending News

#1
मतगणना को लेकर निषेधाज्ञा लागू

location_on गढ़वा
access_time 22-Nov-24, 05:29 PM

#2
16 लाख की मोबाइल चोरी का खुलासा, दो आरोपी गिरफ्तार

location_on गढ़वा
access_time 22-Nov-24, 12:35 PM

#3
घर बैठे देखें चुनाव परिणाम और ट्रेंड्स: निर्वाचन आयोग का डिजिटल समाधान

location_on गढ़वा
access_time 19-Nov-24, 07:24 PM

#4
भूमि बेचकर सेवा का सौदा, अब बेसहारा अशोक दुबे न्याय की गुहार में भटक रहे

location_on गढ़वा
access_time 20-Nov-24, 03:03 PM

#5
प्रेम प्रसंग में हत्या का खुलासा, मुख्य आरोपी गिरफ्तार

location_on गढ़वा
access_time 18-Nov-24, 01:32 PM


Latest News

मतगणना को लेकर निषेधाज्ञा लागू

location_on गढ़वा
access_time 22-Nov-24, 05:29 PM

16 लाख की मोबाइल चोरी का खुलासा, दो आरोपी गिरफ्तार

location_on गढ़वा
access_time 22-Nov-24, 12:35 PM

गढ़वा जिले में अलग-अलग घटनाओं में पांच घायल, सदर अस्पताल में चल रहा इलाज

location_on गढ़वा
access_time 20-Nov-24, 03:51 PM

भूमि बेचकर सेवा का सौदा, अब बेसहारा अशोक दुबे न्याय की गुहार में भटक रहे

location_on गढ़वा
access_time 20-Nov-24, 03:03 PM

घर बैठे देखें चुनाव परिणाम और ट्रेंड्स: निर्वाचन आयोग का डिजिटल समाधान

location_on गढ़वा
access_time 19-Nov-24, 07:24 PM

पलामू पुलिस ने हथियार तस्करी के प्रयास को किया नाकाम, तीन गिरफ्तार

location_on पलामू
access_time 19-Nov-24, 02:26 PM

कम लागत में अधिक मुनाफा देता है फास्ट फूड व्यवसाय: इंदु भूषण लाल

location_on गढ़वा
access_time 18-Nov-24, 04:47 PM

प्रेम प्रसंग में हत्या का खुलासा, मुख्य आरोपी गिरफ्तार

location_on गढ़वा
access_time 18-Nov-24, 01:32 PM

गढ़वा अनुमंडल क्षेत्र में डीजे का किसी भी आयोजन में प्रयोग वर्जित : एसडीओ, आयोजकों के साथ-साथ डीजे संचालकों पर सीओ और थाना प्रभारी करें कार्रवाई

location_on गढ़वा
access_time 17-Nov-24, 05:52 PM

एसडीओ सह रिटर्निंग ऑफिसर ने प्रत्याशियों के साथ की बैठक, 23 नवंबर को निर्धारित मतगणना को लेकर विस्तार से दी जानकारी

location_on गढ़वा
access_time 16-Nov-24, 06:56 PM

o2osell.com का एप गूगल प्लेस्टोर से डाउनलोड करने के लिए क्लिक करें।
Get it on Google Play