रंका : झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार खुद को आदिवासियों का हितैषी चाहे जितना बताने का ढिंढोरा पीट ले मगर जमीन पर ऐसा कुछ नहीं है। विश्वास नहीं हो तो गढ़वा जिले के रंका प्रखंड के कुदरुम गांव के विलुप्त प्राय जनजाति की दुर्दशा देख लें।
दरअसल 27 जुलाई की 2 बजे रात्रि में विश्रामपुर पंचायत के कुदुरूम गाँव के परैहया टोला निवासी सुरेश परैहया का खपडैल घर उस समय धाराशाही हो गया जब वह अपने घर में अचेता अवस्था में सोया हुआ था। पानी झमाझम बरस रही थी अचानक घर का खपडैल काठ, कंडी, खपरा सहित उसके ऊपर गिर पड़ा। जिसके नीचे वह दब गया तो बगल में सोई पत्नी शीला देवी ने अपने पति को किसी प्रकार बाहर निकाली।
वहाँ के पड़ोसियों का कहना है कि सरकार के द्वारा इन जातियों को विशेष सुविधा प्राप्त होता है।
पर इसे अभी तक कोई सुविधा नहीं मिली है। लोगों ने बताया कि विश्रामपुर पंचायत का मुखिया भी आदिवासी समाज से आते है पर यह परैहया परिवार के प्रति उनकी रुचि नहीं है। लिहाजा इस परिवार को अब तक कभी का सरकार की ओर से आवास मिल गया होता। आखिर आदिम जनजातियों के लिए आवास बनाने की सरकार दावे कर रही है तो फिर इस परिवार को जर्जर कच्चे मकान में रहने को तुम मजबूर होना पड़ा। जिससे उसके जान पर भी आफत हो गई है
वर्तमान हालात में भी यह परिवार जर्जर मकान के बच्चे एक हिस्से में बड़ी मुश्किल से एक एक रात काटने को मजबूर है तथा भयाक्रांत है कि कहीं दोबारा उक्त चारजर मकान के गिरने से उन लोगों की जान पर आफत ना आ जाए।