गोदरमाना (गढ़वा) : छत्तीस गढ़ के रामानुज गंज के वार्ड क्रमांक 10 निवासी गोविंदा गुप्ता ( उम्र 16 वर्ष ) पिता स्वर्गीय विनोद गुप्ता, जो शनिवार के दोपहर 1:30 बजे के करीब एनीकट से फिसलने के बाद बह गया था जिसका शव सोमवार कि शाम 50 घंटे बाद शाम छह बजे नगर सेना एसडीआरएफ एवं एक ग्रामीण की मदद से निकाला जा सका।
प्राप्त जानकारी के अनुसार बिश्रामपुर (छत्तीस गढ़) के कार्मेल स्कूल में कक्षा सातवीं में पढ़ने वाले नगर के वार्ड क्रमांक 10 का गोविंदा गुप्ता पिता स्वर्गीय विनोद गुप्ता शनिवार को दोपहर 1:30 बजे के लगभग एनीकट से रामानुजगंज आ रहा था, इसी दौरान अचानक पानी का बहाव तेज हुआ जिससे उसका पैर फिसल गया और वह तेज बहाव में बह गया था।
जिसका पता परिजनों एवं पुलिस को शाम को लग पाया था जब गोविंदा के दोस्त ने गोविंदा के बहने की पुष्टि की जिसके बाद से ही लगातार गोविंदा का खोजबीन शुरु हो गया था। गोताखोरों के द्वारा दिन भर गोविंदा की तलाश कनहर नदी में की जाती रही वहीं आज नगर सेना के गोताखोरों के साथ सरगुजा संभाग एसडीआरएफ की टीम भी बुलाई गई थी, जिनकी संयुक्त मेहनत एवं गोविंदा के परिजनों के द्वारा भी लगातार खोजबीन की जा रही थी इस बीच पलटन घाट के समीप झारखंड के ग्राम बरमूडा के श्रमिक कुलदीप सिंह ने सरगुजा सांसद प्रतिनिधि पवन गुप्ता को सूचना दी कि झारखंड की ओर पत्थर में एक शव फंसा हुआ है, जिसके बाद तत्काल एसडीओपी नितेश गौतम थाना प्रभारी सुरेंद्र श्रीवास्तव सब इंस्पेक्टर मनोज सिंह, आरक्षक अंकित पांडे, विनोद यादव अनिल यादव सहित पुलिस बल मौके पर पहुंचा एवं कुलदीप सिंह के साथ नगर सेवा सेना एवं एसडीआरएफ की टीम के संयुक्त प्रयास से रेस्क्यू कर शव को निकाला जा सका।
उफनते पानी के बीच जवानों ने किया रेस्क्यू
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गोविंदा का शव पलटन घाट के समीप झारखंड की ओर पत्थर में फंसा हुआ था जिसे झारखंड के मजदूरों ने देखकर सूचना दी थी। जहां से शव को लाना बहुत बड़ी चुनौती थी क्योंकि नदी का धार काफी तेज था इस बीच नगर सेना के लांस नायक सजंय पटेल एवं एसडीआरएफ के सिषमल के नेतृत्व में जवानों के द्वारा उफनती नदी से रेस्क्यू कर गोविंदा के शव को निकाला गया।
डाउनस्ट्रीम फ्लोर का फर्श बना रहता तो बच सकती थी जान-
कन्हर एनीकट को आज तक पूर्ण नहीं किया जा सका है वही एनीकट के डाउन स्ट्रीम का फर्श नहीं बना है डाउनस्ट्रीम फ्लोर का दीवाल भी टूट गया है यदि डाउनस्ट्रीम फ्लोर का फर्श बना रहता तो शायद गोविंदा बच सकता था क्योंकि गोविंदा तैरने जानता था।
यदि डाउनस्ट्रीम फ्लोर का फर्श बना रहता तो उसे संभलने का पूरा मौका मिल जाता। परंतु डाउनस्ट्रीम फ्लोर में छड़ निकले हुए हैं एवं कई जगह पत्थर हैं साथ में गड्ढा भी है जिस कारण वह संभल नहीं पाया होगा।
कई बार हो चुकी है घटनाएं-
एनीकट के डाउनस्ट्रीम फ्लोर का फर्श नहीं बनने एवं डाउनस्ट्रीम फ्लोर का दीवाल टूट जाने से पहले भी कई बार लोग फिसल कर नीचे गिरे हैं एवं घायल हुए हैं साथ ही साथ पहले भी कई लोगों की जान विगत 5 वर्षों में जा चुकी है परंतु विडंबना ये है कि आज भी कोई जनप्रतिनिधी या प्रशासन इस ओर ध्यान देना उचित नही समझता।
परिजनों का रो - रो कर बुरा हाल -
गोविंदा के शव मिलने की खबर सुनते ही परिजनों का रो रो कर बुरा हाल है वहीं रामानुज गंज में भी शोक की लहर है। कोई भी सहज रुप से विश्वास नहीं कर पा रहा है कि गोविंदा 3 दिन पूर्व तक हंस खेल रहा था, आज उसकी लाश नदी से मिली है।