केतार : श्री बंशीधर नगर अनुमंडल के केतार प्रखंड क्षेत्र में कोरोना के भय पर भारी पड़ रहा है पेट की आग।
विश्वव्यापी कोरोना संक्रमण के भय से सरकार द्वारा जारी अनलॉक 2 में गढ़वा जिला में कोरोना के बढ़ते संक्रमण के बीच प्रशासन द्वारा जहां एहतियात बरतने का सख्त निर्देश दिया जा रहा है। ठेला खोमचे वाले दुकानों को बंद कराकर भीड़ भाड़ को लेकर सार्वजनिक स्थलों पर चौकसी बरती जा रही है। प्रशासन द्वारा लगातार सामाजिक दुरी पालन करने व मास्क लगाने की अपील की जा रही है।
वहीं इन सब से बेखबर जिले के अंतिम छोर पर अवस्थित केतार प्रखंड के मजदुरों का बदस्तूर पलायन जारी है। एक ओर जहां 15 दिनों से नवजवानों का बड़ा जत्था पंजाब, गुजरात,और महाराष्ट्र में कुच कर रहा है।
वहीं आदिवासी बहुल परती कूशवानी पंचायत के महिलाओं भी ठिकदार के बुलावे पर सीमावर्ती बिहार राज्य के रोहतास जिले में 17 दिन पुर्व ही धनरोंपणी के लिए चली गई थी। जिनका जत्था अब धनरोपणी कर वापस लौटने लगा है। शनिवार को बघौता गांव के दर्जनों मजदुर गांव लौटे वहीं रविवार को छाताकुड़ गांव के संगीता देवी, ठुनकी देवी, गीता देवी, मिथलेश उरांव, हरि उरांव, निरज उरांव, राकेश उरांव, प्रदीप उरांव सहित दर्जनों मजदुर घर लौटे हैं।
मजदुरों ने बताया की उन्हें प्रतिदिन का मजदुरी नगदी लेने पर 200 रू या फिर 9 किलो अनाज मिलता था। बनीहारों ने बताया की वो रोहतास जिला के धनेंज और खडेंज गांव से धनरोंपणी करके आज ही घर वापस लौटे हैं।
मजदुरों ने बताया की गांव में बंजर जमीन होने और सिंचाई की सुविधा नहीं होने और स्थानीय स्तर पर रोजगार उपलब्ध नहीं रहने के कारण वो बाहरी राज्यों में पलायन करने को विवश हैं।
केतार प्रखंड के विभिन्न गांवों से सैकड़ों मजदूर प्रतिवर्ष धनरोपणी व धन कटनी करने अपने घर-बार छोड़कर नन्हे-मुन्ने बच्चों सहित सपरिवार बिहार राज्य के रोहतास और भोजपुर जिला में जाने को विवश हैं।
इसके वावजूद भी केतार प्रखंड क्षेत्र में जनप्रतिनिधियों के उपेक्षा के कारण रोजगार के लिए उद्योग धंधा नहीं लगाया गया ताकि इस प्रखंड के मजदुर का पलायन रूके और इन्हें स्थानिय स्तर पर रोजगार मुहैया कराई जाए।
जबकि सरकार द्वारा गाइडलाइंस जारी किया गया है कि बिहार राज्य से आने वाले लोगों को 20 दिनों तक होम क्वारटाइंन रहना है। लेकिन केतार प्रखंड में इसकी धज्जियां उड़ाई जा रही है।