गढ़वा : जिला वॉलीबॉल संघ मुहल्ला तक ही सीमित है की बात कहने वाले मुहल्ले के खिलाड़ी के कंधे का इस्तेमाल कर खेल के पदाधिकारी बने। वही खिलाड़ी गढ़वा जिले में बॉलीबॉल का विस्तार कर आप लोगों से निजात दिलाने का काम करेंगे इसका रूपरेखा तैयार हो चुका है। उक्त बात बॉलीबॉल संघ के सचिव ओमप्रकाश तिवारी ने कही।
उन्होंने कहा कि मुझे तो ये बात बहुत ही हास्यास्पद लग रहा है कि जिला वॉलीबॉल संघ मुहल्ला तक ही सीमित है और संघ का अस्तित्व भी नहीं है। दोनों कैसे हो सकता है। रही बात जिम्मेदारी की तो ये बात जिनहुद्दीन खान के मुँह से शोभा नहीं देती। क्योंकि यही मुहल्ला संघ के बदौलत इनकी जिला टीम जाती थी। जब ये कभी वॉलीबॉल संघ के सचिव हुआ करते थे।
जब मुहल्ला टीम खत्म इनका संघ खत्म। इनको तो ऐसी बात बोलने में शर्म लगना चाहिए। शायद ये मानसिक रूप से विक्षिप्त हो गए है। वे क्या वॉलीबॉल को जीवित करेंगे। हमही लोग वॉलीबॉल रूपी पौधा को लगाए हैं, उसको सींचे है और हाँ उसका फल ये जरूर खाये हैं।
जब ये संघ बना तब फिर से उस पौधे को हरा भरा किये जिसका पत्ता तक ये खा गए थे। इनको कौन बताये की कमिटी बनाने से खिलाड़ी नही बनते। खिलाड़ी पैदा करने के लिए बहुत त्याग की जरूरत पड़ती है। वैसे ये जिस राह पर चले है उसका कारण मैं अच्छी तरह से समझ रहा हूँ। खाली हो गए है। खूब टूर्नामेंट कराये और खूब आर्थिक और राजनीतिक लाभ उठाएं। बॉलीबाल फेडरेशन ऑफ इंडिया के चेयरमैन न बने। संघ इनके पॉकेट में नहीं है कि जब जिसको चाहें दे दिए और जिससे चाहे ले लिए।
मुझे एक बात समझ में नहीं आती थी कि वॉलीबॉल के प्रति इनका इतना प्रेम कैसे बढ गया, जबकि ये वॉलीबॉल के सचिव हुआ करते थे तो मुझसे कभी कभी कहा करते थे कि वॉलीबॉल में मुझे कोई इंटरेस्ट नहीं है ओम प्रकाश। बस किसी तरह से ढो रहे है इसको। अब जाके इनके वॉलीबॉल प्रेम का रहस्य समझ आया। इनको कुछ न कुछ चाहिए आर्थिक और राजनीतिक लाभ लेने के लिए। इनका फुटबॉल तो इनके पास है नहीं तो मुहल्ला में ताकझांक करना शुरू किए है। अब बस कीजिये गुरुजी। बहुत हो गया। कब्र में पांव लटका हुआ हुआ है। दो रोटी प्रेम से खाइये और अल्लाह का नाम लीजिये। ज्यादा लालच मत कीजिये।अगर कुछ ज्यादा हो गया होगा तो क्षमा चाहूंगा।
ये महाशय प्रेस विज्ञप्ति जारी कर बोल रहे कि संघ की मान्यता समाप्त कर दी गई है।
इसकी मान्यता जिनहुद्दीन खान देते है कि झारखंड वॉलीबॉल संघ देता है। गढ़वा जिला वॉलीबॉल संघ की मान्यता झारखंड वॉलीबॉल संघ दी है जिसके सचिव शेखर बोस हैं और उनके संघ को ही झारखंड ओलंपिक संघ से मान्यता है। वे प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से निराधार बात बोल कर ये साबित करने में लगे हुए हैं कि हम ही बॉलीबॉल फेडरेशन ऑफ इंडिया के चेयरमैन हैं। ये मानसिक रूप से विक्षिप्त होने का लक्षण नहीं है तो और क्या है?

इस संबंध में दूसरे गुट के जिनाहूदिन खान ने कहा कि मुझे यह अच्छा लगा कि बिना किसी वरीय पदाधिकारी से स्पष्टीकरण पूछे बिना आपके द्वारा मनमानी एवं तानाशाही रवैया अपनाया गया। जबकि वर्तमान में भारतीय वॉलीबाल फैडरेशन का ही अस्तित्व नहीं है तो आप का अस्तित्व कैसे बचा? मुझे तो वॉलीबॉल की जानकारी कम है, परंतु बॉलीबॉल फेडरेशन ऑफ इंडिया में क्या हो रहा है उसकी जानकारी रहती है।
आपको वॉलीबॉल से कितना प्रेम है यह 9 फरवरी को ही पता चला। जब पूरा विश्व बॉलीबॉल दिवस मना रहा था तो आपके द्वारा उस दिन बार-बार आयोजन समिति एवं खिलाड़ी को गिड़गिड़ा कर मना किया जा रहा था जो आपके मानसिकता का परिचायक है कि बॉलीबॉल के विकास के लिए आप कितना तत्पर हैं और संसदीय भाषा प्रयोग करने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद। 2007 में आपके द्वारा बार-बार अनुरोध के बाद आपको सचिव बनाया था। उस समय आपको नहीं पहचानने पर शर्म आनी चाहिए थी। आप अपना अस्तित्व बचाने एवं चर्चा में बने रहने के लिए ऐसी हरकत करने पर आमदा हैं। अगर हमसे किसी प्रकार की कोई कठिनाई थी तो एक बार हमसे बात करने की आवश्यकता थी। हमें आरंभ से ही खेल से प्रेम है तथा जीवन भर रहेगा।
आप की तरह सिर्फ अपना अस्तित्व को बचाने के लिए मीटिंग अटेंड करना नहीं है। जो पौधा लगाने की बात कर रहे हैं, उस में मेरा भी योगदान रहा है। मैं वॉलीबॉल संघ का 10 वर्षों से अधिक नेतृत्व किया हूं। नसीहत देने के लिए धन्यवाद आगे भी इसी प्रकार का भाषा का प्रयोग करते रहिए।