गढ़वा : झारखंड के गढ़वा जिले की राजनीति में इस समय जबरदस्त हलचल मची हुई है। झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) ने स्थानीय विधायक सत्येंद्र नाथ तिवारी पर भ्रष्टाचार, भाई-भतीजावाद और जनविरोधी कार्यशैली के छह गंभीर आरोप लगाते हुए उनके छह महीने के कार्यकाल का रिपोर्ट कार्ड जारी किया है।
शुक्रवार को झामुमो ने शहर के घंटाघर चौक पर “लापता विधायक खोजो” कार्यक्रम के तहत आमजन के बीच पर्चे बांटे और विधायक की कार्यशैली पर सवाल खड़े किए।
झामुमो के केंद्रीय समिति सदस्य धीरज दुबे ने कहा कि गढ़वा की जनता ने विधायक पर जो भरोसा किया था, वह अब टूट चुका है। उन्होंने आरोप लगाया कि योजनाओं में लूट और कमीशनखोरी को अंजाम देने के लिए अधिकारियों पर दबाव बनाया जा रहा है और यह सब एक सुनियोजित भ्रष्टाचार का हिस्सा है।
झामुमो के छह आरोपों की मुख्य बातें:
1. कमीशनखोरी और रिश्वतखोरी: सरकारी योजनाओं में ठेकेदारों से मोटा कमीशन मांगा जा रहा है। इनकार करने पर उन्हें धमकाया और अपमानित किया जाता है।
2. भाई-भतीजावाद: योजनाओं के ठेके विधायक के करीबी रिश्तेदारों को दिए जा रहे हैं, जिससे उन्हें विशेष लाभ मिल रहा है।
3. अलकतरा घोटाले की पुनरावृत्ति: पहले की तरह फिर से सड़क निर्माण और अन्य कार्यों में भारी अनियमितताएं सामने आ रही हैं।
4. जनता से दूरी: विधायक न तो आम लोगों की समस्याओं में साथ दे रहे हैं, न ही सामाजिक कार्यक्रमों में भाग ले रहे हैं। कहा गया कि वे केवल पैसे वालों और माफिया के बीच सक्रिय रहते हैं।
5. कार्यकर्ताओं की उपेक्षा: जो कार्यकर्ता चुनाव के समय साथ थे, वे अब खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं क्योंकि चुनाव जीतने के बाद उनकी अनदेखी की गई।
6. जनहित की उपेक्षा: विधायक कोटे से कामों में पारदर्शिता नहीं है, और जनहित की उपेक्षा हो रही है।
धीरज दुबे ने कहा, “विधायक ने कहा था कि जो दस साल किया था, वही करेंगे। जनता पूछ रही है कि वे दस साल में किया क्या?” उन्होंने चेतावनी दी कि अगर जल्द ही स्थिति नहीं सुधरी, तो झामुमो बड़े आंदोलन की शुरुआत करेगा।
कार्यक्रम में झामुमो के कई वरिष्ठ नेता, पदाधिकारी और कार्यकर्ता उपस्थित रहे, जिनमें जिला अध्यक्ष शंभु राम, सचिव शरीफ अंसारी, जवाहर पासवान, तनवीर आलम, चन्दन जायसवाल, दीपमाला कुमारी सहित कई लोग शामिल थे।
कार्यक्रम का मकसद जनता को यह बताना था कि उनके प्रतिनिधि अब जनहित से भटककर निजी लाभ के लिए कार्य कर रहे हैं। झामुमो ने स्पष्ट किया कि यदि विधायक की कार्यशैली में सुधार नहीं हुआ, तो आने वाले समय में आंदोलनात्मक रणनीति अपनाई जाएगी।