कांडी : भीम बराज की बायीं मुख्य नहर में पानी आते ही नहर का बांध टूटने से दो गावों का 22 एकड़ खेत डूबा था। ऊपर से फाटक खोलकर और पानी छोड़ दिया गया। जिसका नतीजा हुआ कि और अधिक खेतों में पानी भर गया।
एक अनुमान के अनुसार भंडरिया गांव के 4 एकड़ एवं मोरबे गांव के और 3 एकड़ खेतों में पानी भर गया। इस प्रकार करीब 29 एकड़ खेत जलमग्न हो गया है। किसानों ने कहा कि उनके लिए यह भारी विपत्ति आ गई है। धान का बीज डालने का समय निकला जा रहा है। दो गांव के खेत में पानी भरने से बीज नहीं डाला जा सकता है। जबकि भंडरिया से नीचे दर्जन भर गांव है जहां इसी नहर से पटवन करके खेती होती है। लेकिन शुरू में ही करीब 3 किलोमीटर में नहर साफ नहीं होने और बांध टूट जाने के कारण पानी आगे नहीं जा रहा है।
जिससे उन गांवों में भी धान का बीज डालना पूरी तरह बाधित हो गया है।
इन गांवों में मोखापी, कोर्गाई, जयनगरा, भुड़वा, खरौंधा, बबुरा, कोइरियाडीह, कसनप और सुंडीपुर आदि का नाम शामिल है। भंडरिया एवं मोरबे के किसान रामयश सिंह, प्रवेश सिंह, महेन्द्र सिंह, राजेंद्र सिंह, प्रभू सिंह, मंगरू रजवार, नंदलाल रजवार, नंदलाल रजवार, बिरजू रजवार, मनोज रजवार, महेंद्र सिंह, सुरेश प्रसाद सिंह, राजेंद्र सिंह, रमेश सिंह सहित अन्य कई किसानों का भी खेत डूब गया है। इनके पास धान का बीज डालने के लिए भी जमीन नहीं बची है।
सुंडीपुर जाने वाली बराज की बायीं मुख्य नहर टूट जाने से करीब 22 एकड़ खेत जलमग्न हुआ था। बाद मे पानी छोड़ने से और 7 एकड़ डूब गया। शनिवार को कोयल नदी के भीम बराज में पानी आया।
रविवार को बायीं मुख्य नहर में पानी छोड़ा गया। लेकिन जीरो से लेकर 3 किलो मीटर तक निर्माणाधीन नहर में कार्य नहीं होने के कारण कहीं कहीं झाड़ियां जंगल हो चुकी हैं। साथ ही सूखे घास व झलांस लगने के कारण नहर जाम हो गया है। नतीजा हुआ कि बराज का नहर में गेट खुलने के कुछ ही घंटे के भीतर लगभग दस फीट की लंबाई में नहर का बांध टूट कर बह गया। इस कारण कांडी प्रखंड क्षेत्र का भंडरिया गांव का करीब 22 एकड़ और मझिआंव प्रखंड क्षेत्र के मोरबे गांव का 7 एकड़ खेत डूब गया।
नहर निर्माण कार्य चार वर्षों से जारी है। लेकिन अभी तक अधूरा पड़ा है। जिस कारण भंडरिया से सुंडीपुर तक के किसानों को इस तरह की समस्याओं से जूझना पड़ रहा है। सरकार, सिंचाई विभाग व संवेदक की लापरवाही के कारण अभी तक नहर निर्माण एवं साइफन निर्माण कार्य पूरा नहीं हो पाया।
लोगों ने कहा कि अगर साइफन और नहर बन गया होता तो आज ऐसी नौबत नहीं आती। तीन दिन बीत जाने के बाद भी टूटे हुए बांध की मरम्मति एवं जाम पड़े नहर की सफाई की दिशा में कोई कार्रवाई शुरू भी नहीं की गई है।