गढ़वा :
शिव संकल्प कीन मनमाही, या तन भेंट सती अब नाही‘‘ भोले बाबा माता सती के शरीर का त्याग किया था, माता सती के आत्मा का नही। इससे हमें शिक्षा लेनी चाहिए कि घर में नोंक-झोक होने का कारण यह नही कि पत्नी से दुर हो जाए। भले ही उसके शरीर से दुर हो जाएं किन्तु पति और पत्नी के बीच का प्रेम, सम्मान सदा बनी रहनी चाहिए। उक्त बातें जिला मुख्यालय गढ़वा के सहिजना में बाबा सोमनाथ मन्दिर परिसर में आयोजित नौ दिवसीए श्रीमद् भागवत कथा के चतुर्थ पूजा के अवसर पर संगीतमय कथा के दौरान कथा वचिका सुश्री गुंजन किशोरी ने अपने प्रवचन में कही।
उन्होने कहा कि जिस प्रकार सती ने भोले बाबा की बात नही मानी तब उन्हे अपमानित होकर अपने प्राणो की बली देनी पड़ी।
उन्होने कहा कि नारी होती नर की शान, मत अपमान करो नारी का। कहा कि बेटियां जिस आंगन में जन्म लेती है उस आंगन को त्यागती हैं। जिस मां की कोख से जन्म लिया उस ममता के सागर को त्यागती हैं। जिस पिता की अंगुली पकड़ चलना सीखी उस पिता के प्यार को त्यागती हैं। भाई के प्यार को त्यागती हैं और पति के आंगन में आकर खुशियां बिखेरती हैं। उसके घर को प्रेम से सिंचती है और वंश को आगे बढ़ाती है। सास-ससुर की सेवा करती है। उन्होने कहा कि पति और पत्नी गृहस्थी रुपी गाड़ी के दो पहिया हैं। हमें इस प्रकार इस गाड़ी को चलाना चाहिए की गृहस्थी रुपी गाड़ी का सामंजस्य बना रहे। तभी यह गाड़ी लम्बे समय तक दुर तलक सकुशल सफर तय कर पाएगी। नोंक-झोक का कारण यही है कि वहां प्रेम होता है।
जहां नोंक-झोक नही होती वहां प्रेम नही होता। इसके पूर्व बाबा सोमनाथ मन्दिर नारी समिति की अध्यक्ष रंजु देवी ने कथावाचिका सुश्री गुंजन किशोरी का माल्यापर्ण किया। वहीं अनिता सिन्हा ने उन्हे चुनरी ओढ़ा कर उन्हे सम्मानित किया। जबकि समिति के वरिष्ठ सदस्य अनिल कुमार सिंह ने श्रीमद भागवत पर माल्यापर्ण किया। वहीं मनोज सिन्हा ने विभिन्न वाद्य यन्त्रों के वादक को अंगवस्त्र तथा माला पहना कर उनका स्वागत किया।