गढ़वा :
व्यक्ति दुख में भगवान को याद करते हैं। जब हम सुख की घड़ी में भगवान को याद करें तो गोविन्द हमारे साथ होंगे और उनकी साक्षात् कृपा नजर आएगी। प्राणियों को भगवान का सुमिरण सुख में ही करना चाहिए। उक्त बातें कथा वाचिका सुश्री गुंजन किशोरी ने मंगलवार की रात्रि दुर्गा पूजा के तृतीया के अवसर पर शहर के सहिजना स्थित बाबा सोमनाथ मन्दिर परिसर में अपने प्रवचन के दौरान कही।
उन्होने कहा कि ‘‘दुख में सुमिरण सब करे पर सुख में करे न कोय, जो सुख में सुमिरण करे तो दुख काहे का होय‘‘। सुश्री किशोरी ने कहा कि जब हम सुख में प्रभु को याद करना प्रारंभ कर दें तो गोविन्द की कृपा से हम बड़े से बड़े दुख को सहजता से पार कर जायेंगे। जीवात्मा को हरिनाम के बिना अपने जीवन को नीरर्थक समझना चाहिए।
व्यक्ति को अपने जीवन को सार्थक बनाने के लिए हरिनाम की भक्ति अवश्य करनी चाहिए। उन्होने कहा कि भागवत भक्ति हमें कठिनाईयों, कष्टों, संकटों से लड़ने का सामर्थ्य देती है। भगवान के भक्त कठिनाई में फंस कर भी कभी अपने मार्ग से विचलित नही होते। ‘‘मुसीबत में शरीफों की शराफत कम नही होती, करो सोने के सौ टुकड़े तो कीमत कम नही होती‘‘। उन्होने कहा कि व्यक्ति को सदा सतकर्म करना चाहिए। बुरे कर्म करने से व्यक्ति राक्षसी वृति को धारण कर लेते हैं। दशासन रावण परम ज्ञानी होते हुए भी राक्षस कहलाया जिसका कारण यही था कि उसके कर्म अच्छे नही थे। उन्होने कहा कि व्यक्ति को जीवन में गलत कार्यो से बचना चाहिए। हमारे बुरे कर्म ही हमे समाज में नीचा दिखाती है।
समाज में यदि व्यक्ति का सम्मान, पद-प्रतिष्ठा छीन ली जाए और उसका सामाजिक बहिष्कार कर दिया जाए तो ऐसा प्राणी जीते जी शव के समान हो जाता है। इसके पूर्व मुख्य यजमान दयानिधि मिश्र उर्फ बबलु मिश्र एवं रंजु देवी ने व्यास पीठ का विधिवत पूजा अर्चना किया तत्पश्चात् प्रवचन प्रारंभ किया गया। इस मौके पर मन्दिर समिति के रंगनाथ पाण्डेय, अखिलेश तिवारी, धरणीधर प्रसाद, अजय सिन्हा, मुन्ना तिवारी, नवल किशोर श्रीवास्तव, अभय सिन्हा, विजय मिश्र, रामाधार दुबे, सुमेर उपाध्याय, उमेश सिंह समेंत बड़ी संख्या में महिला व पुरुष श्रद्धालु उपस्थित थे।