बंशीधर नगर :
श्री बंशीधर नगर-नगर पंचायत क्षेत्र के सब्जी मार्केट में दुर्गा पूजा भव्य रूप से मनाने को लेकर श्री जय भामाशाह क्लब के तत्वाधान में बैठक का आयोजन किया गया. बैठक की अध्यक्षता क्लब के संरक्षक भारत भूषण प्रसाद उर्फ बुलबुल ने किया.बैठक में दुर्गा पूजा महोत्सव धूमधाम से मनाने को लेकर विचार विमर्श किया गया.कार्यकारी अध्यक्ष रजनी कांत मधुर उर्फ भोलू ने बताया कि बैठक में आकर्षक भव्य पूजा पंडाल आकर्षक लाइटिंग के द्वारा सजावट किया जायेगा. एकम से संध्या समय महा आरती प्रतिदिन होगा .नवमी को कन्या पूजन के बाद महा भंडारा ,दशहरा के दिन भव्य भक्ति जागरण कराने का निर्णय लिया गया.बैठक में पंडाल, प्रतिमा सहित अन्य बिंदुओ पर क्रमवार चर्चा करते हुए अंतिम रूपरेखा तय की गई. बैठक में क्लब का पुनर्गठन भी किया गया, जिसमें में संरक्षक के रूप में भारत भूषण प्रसाद, ओम प्रकाश मुन्ना, कामेश्वर प्रसाद, पप्पू अनमोल, संजीत कुमार छोटू, आनंद जायसवाल, अमित कुमार गुड्डू, अशीष कुमार सोनू, अशीष गुप्ता , संतोष कुमार, विकाश कुमार शालू, चंदन गुप्ता का नाम शामिल है. वहीं सर्वसम्मति से बिरेन्द्र प्रसाद अग्रहरि को अध्यक्ष,रजनीकांत मधुर उर्फ भोलू को कार्यकारी अध्यक्ष, अजित कुमार केशरी और सूरज गुप्ता को उपाध्यक्ष, नित्यानंद कुमार को सचिव, अनिल मेहता को कोषाध्यक्ष बनाया गया. ऋतुराज जायसवाल,छन्नूलाल, शिवम कुमार,प्रिंस राजू, अशीष कुमार विशाल, सत्यप्रकाश, दिनेश जायसवाल, अमित अग्रहरी, बंटी केशरी,दिनेश गुप्ता, अविनाश कुमार, हिमांशु रंजन, अविनाश छोटू,अक्षय, क्रिश, आयुश रंजन ऋतिक को कार्यकारिणी सदस्य बनाया गया.बैठक में जय भामाशाह क्लब के सदस्य बड़ी संख्या में उपस्थित थे.
भगवान के अवतारों की कथा बार-बार सुननी चाहिए :-जीयर स्वामी ।
स्वामी जी ने प्रवचन करते हुये कहा कि जिस घर में श्रीमद्भागवत की पूजा होती है उस घर में लक्ष्मी का वास होता है। हर घर में श्रीमद्भागवत की पूजा होनी चाहिए।बार-बार कथा सुनने की बात को उन्होंने समझाते हुए कहा कि जिस प्रकार एक बार भोजन कर लेने से एक बार सांस ले लेने से काम नहीं चल सकता है। उसी प्रकार एक बार कथा सुनने से काम कैसे चल सकता है। भगवान के अवतारों की चर्चा कथा के रूप में हमेशा सुननी चाहिए। इससे मन का विकार बाहर हो जाता है और मन चीत को शांति मिलती है। और सांसारिक मोहमाया में मन फंसने से बच जाता है। उन्होंने कहा कि कथा एक स्टेटस है एक संस्कार है यह ईश्वर की कृपा है।जिसे बार-बार सुनने के बाद जीवन में ईश्वर की कृपा बरसने लगती है।
जीवन में शांति की प्राप्ति होती है शालीनता आती है सादगी आती है विनम्रता आती है। जिन शब्दों को सुनने के बाद हमारे मन बुद्धि दिमाग को ईश्वर में स्थापित होने का सौभाग्य प्राप्त होता है।उसे कथा कहते हैं।जैसे बाल्मीकि जी ईश्वर का नाम जपते जपते गलत मार्गो से हटकर प्रशस्त मार्गों के अधिकारी बन गए। अंगुली माल डाकू गौतम बुद्ध के उपदेशों को सुन कर अहिंसा का पुजारी बन गया। कालिदास जी अपनी पत्नी की कृपा से जीवन को धन्य कर लिया। इसलिए प्रत्येक व्यक्ति को श्रीमद्भागवत कथा सुननी चाहिए। ईश्वर के अवतारों की चर्चा बार-बार सुननी चाहिए।उन्होंने कर्म के बारे में समझाते हुए विस्तार पूर्वक बताते हुए कहा कि कर्म करते समय व्यक्ति को सतर्क रहने की आवश्यकता है।
क्योंकि कर्म का फल अकाट्य होता है। इसका फल मिलना है मिलना होता है। बिल्कुल निश्चित है। क्योंकि जो जैसा कर्म करेगा वैसा फल मिलेगा ही मिलेगा।व्यक्ति को मांसाहार का भोजन नहीं करना चाहिए। अपनी आत्मा की पूर्ति और जीभ के स्वाद के लिए दूसरे जीवो को मारकर खा जाना यह बहुत ही घोर अपराध है। इससे बचना चाहिए यह शास्त्रों के ठीक विपरीत है।ठीक उल्टा है।ऐसा नहीं करना चाहिए। हर जीव को अपनी जिंदगी जीने का पूर्ण अधिकार है। सबको ईश्वर ने जन्म दिया है। किसी भी जीव को दूसरे को मारने की अनुमति नहीं है।किसी जीव को प्रताड़ित करने का कोई अधिकारी नहीं है। अगर ऐसा करता है तो वह घोर नरक का भागी बनता है।