बंशीधर नगर :
देवता शब्द का अर्थ है कि जिसके द्वारा उपकार हो, कल्याण हो, आनंद हो, समृद्धि हो, सुख प्राप्त होता हो। उसी को देवता कहते हैं। हम उनकी पूजा करते हैं। वह हमारी मंगल करते हैं। अग्नि, वायु, सूर्य, चंद्र, पृथ्वी, देवता तो प्रत्यक्ष देवता हैं।
चित् के भटकाव को समाप्त करना ही योग है।
योगेश्वर मतलब बताते हुए स्वामी जी महाराज ने बताया कि एक होते हैं योगीश्वर, एक होते हैं योगेश्वर और एक होते हैं योगी। एक होता है योग। चार होते हैं। जिस साधना के द्वारा हमे उन तत्वों से हमारा संबंध हो जाए, मिलन हो जाए उसी का नाम योग है। पातंञ्जल योगी के अनुसार हमारी चित् का जो चंचलता है, चित् का जो भटकाव है, चित् का जो उधेड़बुन है जो साधन समाप्त हो जाए उसी का नाम योग है।
जो करने वाला है वह योगी है। योग करने वाले योगियों में जो श्रेष्ठ है वह योगीश्वर है। जिनके द्वारा योग उत्पन्न हुआ हो वे योगेश्वर हैं। भगवान कृष्ण योगेश्वर हैं।
नास्तिक न होइए बुद्धि विवेक का इस्तेमाल करीए।
लोग कहते हैं कि कहां भगवान हैं, कहां गाॅड हैं। सब अपने से चलता है। साधारण कपड़ा फट जाता है तो मशीन से सिलवाना पड़ता है। लोग कहते हैं कि दुनिया अपने से चलती है। कोई न कोई व्यवस्था है। इस दुनिया को चलाने के लिए। यदि सूर्य थोड़ा सा नीचे आ जाए तो पुरी दुनिया जलने लगेगी। उपर चले जाएं तो ठंड से अस्त व्यस्त हो जाना पड़ेगा। इसलिए अपने विवेक बुद्धि का उपयोग करीए। कितना भी नास्तिक होइए। नास्तिकता से काम नही चलने वाला है। जितना भी प्राकृतिक वस्तुएं हैं इन सबको बनाने वाला कोई न कोई भगवान होगा। जब कोई कारण है तो कोई न कोई कर्ता भी है।