बंशीधर नगर :
शहीदे आजम भगत सिंह जयंती के अवसर पर आगामी 28 सितम्बर को अल्का मैरेज गार्डेन में दोपहर एक बजे से भगत सिंह के सपनों का भारत विषय पर विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया है.उक्त आशय की जानकारी देते हुये भाकपा के जिला सचिव राजकुमार राम ने लोगों से उक्त विचार गोष्ठी में शामिल होकर कार्यक्रम को सफल बनाने की अपील किया है.
रक्तदान शिविर
-अनुमंडल मुख्यालय स्थित ट्रॉमा सेंटर में गढवा जिले में रक्त की उपलब्धता बनाये रखने के लिए मंगलवार को स्वैच्छिक रक्तदान शिविर का आयोजन किया गया.रक्तदान शिविर का उदघाटन अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी प्रमोद कुमार केशरी व अनुमंडलीय अस्पताल के उपाधीक्षक डॉ गोकुल प्रसाद ने दीप प्रज्वलित कर किया. इस अवसर पर एसडीपीओ ने कहा कि रक्तदान महादान होता है.आपके द्वारा दिया गया रक्त किसी की जान बचा सकता है.उन्होंने उपस्थित लोगों से रक्तदान करने की अपील किया.स्वास्थ्य विभाग द्वारा आयोजित रक्तदान शिविर में 11 लोगों ने रक्तदान किया.रक्तदान करने वालों में अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी प्रमोद कुमार केशरी,अनुमंडलीय अस्पताल के उपाधीक्षक डॉ गोकुल प्रसाद,थाना प्रभारी नीतीश कुमार सिंह,नगर पंचायत के सिटी मैनेजर रवि कुमार तथा प्रणय मंडलाकार,ट्रॉमा सेंटर स्वास्थ्य कर्मी बिपेशराज तमांग,भवनाथपुर निवासी सौरभ सुमन,कोल्हुआ ग्राम निवासी एम्बुलेंस चालक मनोज कुमार,जंगीपुर निवासी हर्षराज किस्पोटा,ललन राम,अमित कुमार, इद्रीस अंसारी सहित ने स्वेच्छिक रूप से रक्त दान कर जिला रक्तबैंक को अपना को योगदान दिया.मौके पर प्रधान लिपिक राजेश कुमार ,एमपीडब्ल्यू अशफ़ाक़ अहमद,प्रकाश कुमार सहित सभी स्वास्थ्य कर्मी उपस्थित थे.
समीक्षात्मक बैठक 27 को
प्रखंड के नरही पंचायत सचिवालय में 27 सितम्बर को 11 बजे पूर्वाहन से पंचायत स्तरीय एक समीक्षात्मक बैठक आयोजित किया गया है.उक्त आशय की जानकारी देते हुये पंचायत सचिव बिरेन्द्र सिंह ने बताया कि उक्त बैठक में पंचायत में कार्यरत सभी विभागों के कर्मियों को आमंत्रित किया गया है.
पोषण
-बालविकास परियोजना कार्यालय के सभागार में एक सितंबर से 30 सितंबर तक चल रहे पोषण माह के अंतर्गत परियोजना स्तर पर मंगलवार को पोषण माह कार्यक्रम का आयोजन किया गया.मौके पर उपस्थित सीडीपीओ सह अंचल पदाधिकारी अरुण कुमार मुंडा ने उपस्थित सेविकाओं को संबोधित करते हुए कहा कि हमे सभी लोगो को पोषण का महत्व बताना है.इसके प्रति लोगो को जागरूक करना हैं.उन्होंने पोषण के पांच सूत्र के बारे में बताते हुए कहा कि
स्वस्थ बच्चे के लिए मां का भी स्वस्थ होना जरूरी है. इसमें पोषण के पांच सूत्र - पहले सुनहरे 1000 दिन, पौष्टिक महामंत्र साबित हो सकते हैं.उन्होंने कहा कि स्वस्थ समाज के निर्माण के लिए पोषण संबंधी व्यवहार में परिवर्तन और जीवन शैली के बदलाव की बेहद आवश्यकता है. भोजन में पोषक तत्वों की कमी से प्रतिरोधक क्षमता भी कमजोर होती जा रही है. जागरूकता की कमी और समुचित पोषण के अभाव के कारण बच्चों को कई प्रकार की बीमारियाँ हो रही हैं. इसका सबसे बड़ा दुष्प्रभाव कुपोषण का एक विश्वव्यापी समस्या बनकर उभरना है. आहार के प्रति सही व्यवहार और जागरूकता से ही एक स्वस्थ समाज की परिकल्पना को साकार किया जा सकता है.मौके पर पर्यवेक्षिका आरती देवी,दीपा कुमारी,माया गुप्ता,सेविका रेणु देवी,कौशल्या देवी,अमरावती देवी,आशा देवी,चिंता देवी,रीना देवी,शिला देवी,उर्मिला देवी,बबिता देवी,सुनीता देवी,तारा देवी सहित बड़ी संख़्या में आंगनबाड़ी सेविकाएं उपस्थित थी.
तुम्हारे द्वारा अर्जित धन में सब हिस्सा चाहेंगे. लेकिन तुम्हारा दुःख कोई नही बाँटना चाहेगा:- जीयर स्वामी
पवित्र लक्ष्य से ही उत्तम कार्य की सिद्धि व्यक्ति के अनीति एवं अत्याचार से अर्जित धन का उपभोग तो परिजन करते हैं लेकिन के पाप के भागी नहीं बनते।
जो लोग दिन-रात गलत तरीके से धनोपार्जन कर अपने परिजनों को सुविधाएं प्रदान करते हैं, वे भूल जाते हैं कि परिजन उनके कुकृत्य में साथ नहीं देते। व्यावहारिक रुप में भी देखा जाता है कि कुकृत्य से धन अर्जित करने वाला ही दंड का भागी बनता है न कि उसके परिजन। श्री जीयर स्वामी ने श्रीमद् भागवत महापुराण कथा के के तहत बाल्मीकि जी के कृत्यों की चर्चा किया। बाल्मीकि जी वरुण देव के पुत्र और कश्यप ऋषि के पौत्र थे। इनकी संगत एवं सहवास बिगड़ गया था, जिसके कारण ये अनीति और अत्याचार की पराकाष्ठा पर पहुंच गए थे। एक दिन के सप्त ऋषियों को लूटने लगे। सप्त ऋषियों ने कहा कि हम लोग यहीं पर खड़े है। आप अपने परिजनों से पूछ लीजिए कि, जो परिजन आप के लूटे हुए धन का उपभोग करते हैं, वे आपके कुकृत्य के फल (पाप) में भागी होगे या नहीं? परिजनों ने जब पाप का भागी बनने से इनकार किया तो बाल्मीकि जी की आखें खुल गईं।
व्यवहार में भी देखा जाता है कि जो व्यक्ति गलत तरीके से धनार्जन कर अपने परिजनों को सुख-सुविधाएं उपलब्ध कराता है, वह स्वयं की शक्ति और सुरक्षा के लिए तड़पता रहता है। वह जेल की यातनाएं तक भोगता है। उस वक्त परिजन और शुभचिंतक नसीहत देने लगते हैं कि ऐसे धन की क्या जरुरत है? | स्वामी जी ने कहा कि लक्ष्य सही नहीं हो तो मनुष्य द्वारा किए गए कर्मों के अनुरुप फल प्राप्त नहीं होता। कश्यप ऋषि की पत्नी दिति ने अपने दोनों पुत्रों हिरण्याक्ष और हिरण्यकश्यपु के मारे जाने के बाद देवताओं के समान प्रभावशाली पुत्र की कामना की, जो देवताओं का दमन कर सके।
स्वामी जी ने कहा कि वाणी पर संयम रखना चाहिए। बिना सोचे-विचारे कुछ नहीं कहना चाहिए।
इसीलिए नीति कहती है कि शास्त्रपूतं वदेत् वाचम् यानी शास्त्र के अनुकूल वाणी बोलनी चाहिए। मन से सोचकर वाणी बोलनी चाहिए। जो शिक्षा, भगवान, संत और शास्त्र के विरोधी हों, वह शिक्षा ग्राह्य नहीं है। उन्होंने कहा कि गलत आहार, गलत व्यवहार एवं शास्त्र-विरूद्ध विवाह के कारण जीवन में शांति नहीं मिलती। बल्कि जीवन संकटमय हो जाता है। हमारे बोलने और देखने की शैली अच्छी नहीं हो तो जीवन निराशपूर्ण हो जाता है।