रोजगार नहीं मिलने से उत्पन्न हो सकती है अराजकता, मुँह बाए खड़ी है प्रवासी श्रमिकों के रोजगार का संकट
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31-05-2020, 03:27 PM
ट्रेन एवं बस से लौटते मजदूर, काम के लिए खड़े मजदूर और स्क्रीनिंग
विवेकानंद उपाध्याय
चैनल हेड, नूतन टीवी
मुंह बाए खड़ी है प्रवासी श्रमिकों के रोजगार का संकट
रोजगार नहीं मिलने से उत्पन्न हो सकती है अराजकता
65461 श्रमिकों की हो चुकी है वापसी, आगे भी लौटेंगे हजारों श्रमिक
गढ़वा: वैश्विक महामारी कोरोना के संकट से जूझ रहे गढ़वा जिला प्रशासन के सामने जिले में लौटे प्रवासी के की बाढ़ को नियंत्रित करने की असली चुनौती अगले कुछ दिनों में आनेवाली है, जिससे पार पाना लोहे के चना चबाने से भी कम कठिन नहीं होगा, क्योंकि जिला प्रशासन की ओर से जो अब तक आंकड़ा स्क्रीनिंग के नाम पर जारी किया गया है उसके अनुसार विगत 26 मई तक ही जिले में 65461 प्रवासियों की घर वापसी हुई है, इसमें 58652 वैसे लोग हैं जो स्पेशल ट्रेन अथवा स्पेशल बस से दूसरे राज्यों से जिले के विभिन्न गांवों के लिए लाए गए हैं, साथ ही छत्तीसगढ़ की सीमा की तरफ से अपने संसाधन से 4027 तथा उत्तर प्रदेश की सीमा से अपने संसाधन से 2782 प्रवासी भी इसमें शामिल है। वापसी का सिलसिला अभी भी तेज रफ्तार में जारी है।
मानता हूं कि जो भी प्रवासी दूसरे राज्यों से गढ़वा जिले में अपने घर लौट रहे हैं, उसमें श्रमिकों के अलावा तीर्थयात्री तथा छात्र भी शामिल हैं। मगर इनकी संख्या बहुत ही कम है जो अधिकतम 2% के करीब होगी ऐसे में जिले में अचानक श्रमिकों की जो संख्या बढ़ी है, उसे रोजगार का अवसर देकर संतुष्ट रख पाना जिला प्रशासन के लिए क्या आसान होगा ? कम से कम इस कोरोना वैश्विक महामारी में सरकार द्वारा उपलब्ध कराए जा रहे संसाधनों, एवं मनरेगा योजना की कार्य संस्कृति को देखकर तो ऐसा नहीं कहा जा सकता है कि गढ़वा जिला में यदि 50 हजार भी श्रमिकों की संख्या मान ली जाए तो इतने श्रमिकों को मनरेगा जैसी योजना से जिला प्रशासन वर्तमान परिस्थिति में रोजगार दे पाएगा। यहां पर एक और समस्या है जिसका जिक्र करना आवश्यक है, क्योंकि इन प्रवासी श्रमिकों में सिर्फ सामान्य मजदूर नहीं है बल्कि स्कील्ड तथा सुपरवाइजर जैसे फैक्ट्रियों में काम करने वाले वैसे लोग भी हैं, जिन्हें मनरेगा के तहत रोजगार उपलब्ध कराना संभव नहीं है। वैसे भी मनरेगा योजना का जो हालत है वह जगजाहिर है मजदूरों के नाम जॉब कार्ड जरूर है मगर अक्सर शिकायत मिलती रहती है कि जॉब कार्ड मजदूरों के हाथ में न होकर बिचौलियों के हाथ में गिरवी सा रखा रहता है। बदले में जॉब कार्ड धारी मजदूरों को मजदूरी खाता में भुगतान होने के बाद बैंक में निकासी के दिन जाने की मजदूरी बिचौलिया भुगतान कर शेष पैसा वसूल लेता है। ऐसे में मनरेगा योजना की कार्य संस्कृति नहीं बदली तो इन श्रमिकों को कितना रोजगार का अवसर मिल पाएगा यह भी अपने आप में एक बड़ा सवाल है।
रोजगार के सवाल पर श्रमिकों का असंतोष बढेगा जो विकट समस्या पैदा कर सकती है क्योंकि इसकी शुरुआत जिले में हो चुका है कल ही गढ़वा जिले के बाम्बा डैम में चल रहे पक्कीकरण के काम में देखने को मिला, जहां निर्माण कार्य में लगी ठेका कंपनी के कार्यस्थल पर सैकड़ों मजदूर रोजगार देने के सवाल पर जमकर हंगामा किया, एवं निर्माण कार्य को रोक दिया मजदूरों का कहना था कि बाहरी मजदूरों को रोजगार दिया जा रहा है जबकि वे लोग रोजगार के अभाव में भूखे मरने को विवश है। स्थानीय होने के कारण मजदूरी करने का उनका हक है, जबकि ठेकेदार का कहना था कि वह 100 मजदूरों को रोजगार एक साथ कहां से दे पाएगा ? जरा सोचिए ! यह कैसी विडंबना है कि जो मजदूर दूसरे राज्यों से रोजगार पाने की अभिलाषा रखते हो वह रोजगार की आकांक्षा में इतने अभी ही इतने व्याकुल होने लगे हैं कि अपने गांव के पड़ोसी को भी काम करते देखना नहीं चाहते। ऐसे में आने वाले वक्त में इन क्या हश्र होगा आकलन किया जा सकता है।
जहां तक गढ़वा जिला का प्रश्न है, गढ़वा जिले में श्रमिकों का कई वर्ग है। श्रमिकों को का एक ऐसा वर्ग है जो पूरी तरह से दूसरे राज्यों में पलायन कर रोजगार प्राप्त करता है। दूसरा वर्ग वह है जो खेतिहर मजदूर है, जो मौसम में धान रोपने काटने, गेहूं काटने तथा ईट भट्ठा में काम करने के लिए पलायन करता है। ऐसे सभी तरह के मजदूर जिले में या तो काम छोड़कर लौट चुके हैं, अथवा कुछ दिनों में घर वापस लौट जाएंगे यदि इन मजदूरों को रोजगार नहीं मिला तो इनके सामने भूखों मरने का संकट उत्पन्न होगा और भूख के आगे इंसान अच्छा - बुरा का पहचान नहीं कर पाता ऐसे में जिले में लूटमार जैसे अपराध की घटना भी बढ़ सकती है। जिसका ताज़ा उदाहरण बीते कल मेन रोड में व्यसायी से एक लाख रुपये दिन दहाड़े लूट के रूप में देखने को मिली।
लिहाजा समय रहते यदि प्रवासी श्रमिकों के मामले में प्रशासन ने कोई ठोस कार्य योजना तैयार नहीं किया तो आने वाला समय गढ़वा जिले के लिए मुश्किल भरा होगा।
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