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श्री राम लला मंदिर

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access_time 05-08-2020, 04:49 PM


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श्रीराम लला मंदिर का ढांचा


प्रशांत कुमार पांडेय
मेकेनिकल इंजीनियर

अयोध्या में राम लला के जन्मस्थल पर मंदिर निर्माण का शुभ कार्य शुरू होने वाला है। पाँच अगस्त को भूमि पूजन के कार्यक्रम का आयोजन होना है। हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भव्य राम मंदिर की आधारशिला (नीव) भी रखेंगे और इस तरह मंदिर के निर्माण कार्य का शुभारंभ किया जाएगा। इस कार्यक्रम के लिए पहले से हीं अयोध्या को सजाने का कार्य शुरू कर दिया गया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस कार्यक्रम हेतु कुल तीन घंटे तक अयोध्या की पावन नगरी में रुकेंगे। मंदिर के भूमि पूजन और शिलान्यास से पहले वो हनुमान जी की पूजा करेंगे। ऐसा माना जाता है कि भगवान हनुमान के आशीर्वाद के बिना भगवान श्री राम का कोई भी कार्य आरम्भ नहीं किया जाता है। इस वजह से पीएम पहले भगवान हनुमान की पूजा करेंगे और उसके बाद भूमि पूजन के लिए जाएंगे। भूमि पूजन का मुहूर्त पीएम नरेंद्र मोदी पाँच अगस्त को दोपहर बारह बजे राम जन्मभूमि पहुंचेंगे। इसके बाद वह रामलला (फिलहाल विराजमान) का पूजन करेंगे। दोपहर बारह बजकर चौवालिस मिनट पे वे भव्य राम मंदिर की आधारशिला का स्थापना करेंगे। पांच अगस्त को राम लला मंदिर के भूमि पूजन से एक दीन पहले चार अगस्त को हीं रामार्चन पूजा शुरू हो गई थी। इस पूजा के माध्यम से सभी प्रमुख देवी और देवताओं को भगवान राम के पधारने से पहले न्योता दीया गया । यह पूजा कई चरणों में कि गयी। पहले चरण में श्री राम के अलावा अन्य देवी-देवताओं की पूजा की गयी। दूसरे चरण में अयोध्या की पूजा हुई। इसके अलावा नल-नील, सुग्रीव की पूजा तथा तीसरे चरण में राजा दशरथ, उनकी सभी रानियां, राम के सभी भाइयों और उनकी पत्नीयों की पूजा की गयी। जिसके अंत में भगवान श्री राम का आह्वान किया जाएगा। पांच अगस्त को न्यूयॉर्क के टाइम्स स्क्वायर में भी दिन भर, भगवान श्री राम के चित्र और भव्य राम मंदिर के मॉडल को प्रदर्शित किया जाना है। यह एक खुशियों से भरा पल होगा जब लोग अपना सपना साकार होते देखेंगे। । इस निर्माण के लिए लोगों ने कई वर्षों तक तपस्या की है और उनके लम्बे इंतेज़ार के बाद यह अब सफल होने वाला है। आइये जानते है आखिर क्या था - राम मंदिर विवाद रामायण- हिंदू धर्म की एक महाकाव्य, जिसके अनुसार भगवान श्री राम का जन्म स्थान अयोध्या में सरयू नदी के तट पर है। हिंदुओं के एक वर्ग का दावा था, कि श्री राम की जन्मभूमि का सटीक स्थान वही है जहाँ बाबरी मस्जिद एक समय में उपस्थित थी। उनका मानना था, कि मुगल शाशकों ने एक हिंदू मंदिर को ध्वस्त कर उस स्थान को पर बाबरी मस्जिद का निर्माण कराया था। बाबरी मस्जिद का निर्माण 1528-29 के दौरान मुग़ल शाशक बाबर के सेनापति मीर बांक़ी के द्वारा किया गया था। कुछ लोगों ने इसका विरोध किया, कि इस तरह के दावे केवल 18 वीं शताब्दी में उठे, और उन्होंने यह तर्क दिया कि यहाँ स्थित मस्जिद में या उस जमीन में दबी हुई कोई भी वस्तु श्री राम के जन्मस्थान होने का कोई सबूत नहीं देती है। बाबरी मस्जिद के इतिहास और स्थान पर राजनीतिक, ऐतिहासिक और सामाजिक-धार्मिक बहस शुरू हो गयी। इस मस्जिद (बाबरी मस्जिद) को बनाने के लिए पहले से स्थित किसी मंदिर को ध्वस्त किया गया था या संशोधित किया गया था इस बात को लेकर बहस छिड़ गई जिसे सबने अयोध्या विवाद का नाम दिया । 6 दिसंबर 1992 को, हिंदू राष्ट्रवादियों की सेना ने बाबरी मस्जिद का विध्वंस कर दिया। इस तोड़ फोड़ ने व्यापक हिंदू-मुस्लिम हिंसा को जन्म दिया। तब से हीं इस मुद्दे पर बल दिया गया और खुदाई शुरू की गई। पुरातात्विक विभाग के द्वारा की गई खुदाई में मस्जिद के मलबे के नीचे एक मंदिर की उपस्थिति का संकेत मिला, लेकिन क्या संरचना राम मंदिर हीं थी (या अन्य कोई ) विवादित रही। 30 सितम्बर 2010 को अल्लाहाबाद(अब प्रयागराज) उच्च न्यायालय ने फैसला सुनाया और इस जमीन के तीन हिस्से कर दिए। 8 फरवरी, 2018 को, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राजनीतिक रूप से संवेदनशील यह मामला सिर्फ एक "भूमि विवाद" है और इसे सामान्य तरीके से निपटाया जाना चाहिए। 29 अक्टूबर, 2018 को, अयोध्या भूमि विवाद की सुनवाई को जनवरी 2019 तक के लिए टाल दिया गया। 9 नवंबर 2019 को  मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता में सर्वोच्च न्यायालय ने पिछले फैसलों को निरस्त करते हुए कहा कि भूमि, सरकार के कर रिकॉर्ड के अनुसार है तथा इसे हिंदू मंदिर के निर्माण के लिए एक ट्रस्ट को सौंपने का आदेश दिया।मस्जिद बनाने के लिए सुन्नी वक्फ बोर्ड को वैकल्पिक 5 एकड़ जमीन देने का भी आदेश सुनाया गया। यह श्री राम मंदिर का मुद्दा सालों से भारतीय मीडिया और देशवासियों के कौतुहल और चिंता का विषय बना रहा है। आखिर अब जाकर अयोध्या की पवन धरती तथा श्री राम के जन्मस्थल पर एक भव्य राम मंदिर का निर्माण शुरू होगा। श्री राम मंदिर ने भारतीय राजनीती को भी काफी प्रभावित किया है। कुछ नेता श्री राम के अस्तित्व पर सवाल उठाते रहें हैं तो कुछ श्रीराम का नाम लेकर अपना वोट बैंक बनाते आये हैं। अब जब निर्माण कार्य शुरू हो रहा है तो देखना ये है कि जनता किसे इसका श्रेय देती है।


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